नमाज़ के बराबर किसी भी इबादत
नमाज़ के बराबर किसी भी इबादत की तबलीग़ नही हुई
हम दिन रात में पाँच नमाज़े पढ़ते हैं और हर नमाज़ से पहले अज़ान और इक़ामत की ताकीद की गई है। इस तरह हम
बीस बार हय्या अलस्सलात (नमाज़ की तरफ़ आओ।)
बीस बार हय्या अलल फ़लाह (कामयाबी की तरफ़ आओ।)
बीस बार हय्या अला ख़ैरिल अमल (अच्छे काम की तरफ़ आओ)
और बीस बार क़द क़ामःतिस्सलात (बेशक नमाज़ क़ाइम हो चुकी है)
कहते हैं। अज़ान और इक़ामत में फ़लाह और खैरिल अमल से मुराद नमाज़ है। इस तरह हर मुसलमान दिन रात की नमाज़ों में 60 बार हय्या कह कर खुद को और दूसरों को खुशी के साथ नमाज़ की तरफ़ मुतवज्जेह करता है। नमाज़ की तरह किसी भी इबादत के लिए इतना ज़्याद शौक़ नही दिलाया गया है।
हज के लिए अज़ान देना