*(म.न. 126) अगर कोई पाक चीज़ किसी नजिस चीज़ से लग जाये और यह दोनों या इनमें से एक इस तरह गीली हों कि एक की तरी दूसरी में पहुँच जाये तो पाक चीज़ नजिस हो जायेगी और अगर वह इस तरी के साथ किसी तीसरी चीज़ से लग जाये तो उस को भी नजिस कर देगी। और मशहूर क़ौल यह है कि जो चीज़ नजिस हो गई हो वह दूसरी चीज़ों को भी नजिस कर देती है लेकिन एक के बाद एक कई चीज़ों पर निजासत का हुक्म लगाना मुश्तिल है बल्कि उन पर पाकीज़गी का हुक्म लगाना क़ुवत से ख़ाली नही है। मसलन अगर दायाँ हाथ पेशाब से नजिस हो जाये और फ़िर यह तर हाथ बायेँ हाथ को लग जाये तो बायाँ हाथ भी नजिस हो जायेगा। अब अगर बायाँ हाथ ख़ुश्क होने के बाद किसी तर लिबास को लग जाये तो वह लिबास भी नजिस हो जायेगा, लेकिन अगर वह तर लिबास किसी दूसरी चीज़ को लग जाये तो वह चीज़ नजिस नही होगी। और अगर तरी इतनी कम हो कि दूसरी चीज़ को न लगे तो पाक चीज़ नजिस नही होगी चाहे वह ऐने निजासत को ही क्योँ न लगी हो।
(म.न. 127) अगर कोई पाक चीज़ किसी नजिस चीज़ को लग जाये और इन दोनों या इनमें से किसी एक के तर होने के बारे में किसी को शक हो तो पाक चीज़ नजिस नही होगी।
*(म.न. 128) ऐसी दो चीज़ें जिनके बारे में इंसान यह न जानता हो कि इनमें से कौनसी पाक है और कौनसी नजिस अगर एक पाक और तर चीज़ उन में से किसी एक को लग जाये तो उस चीज़ से परहेज़ करना ज़रूरी नही है।लेकिन कुछ हालतें ऐसी हैं कि जिनमें इससे परहेज़ करना ज़रूरी है जैसे दोनो चीज़े पहले नजिस थीं या यह कि कोई पाक चीज़ तर होने की हालत में इन में से किसी एक से लग जाये।
(म.न. 129) अगर ज़मीन कपड़ा या ऐसी दूसरी चीज़ें तर हों तो उनके जिस हिस्से को निजासत लगेगी वह नजिस हो जायेगा और बाक़ी हिस्सा पाक रहेगा और यही हुक्म खीरे और खरबूज़े के बारे में है।
(म.न. 130) जब शीरे ,तेल घी और ऐसी ही किसी और चीज़ की सूरत ऐसी हो कि अगर उसकी कुछ मिक़दार निकाल ली जाये तो उसकी जगह खाली न हो तो ज्यों ही वह ज़र्रा बराबर भी नजिस होगा तमाम नजिस हो जायेगा।लेकिन अगर उसकी सूरत ऐसी हो कि उस में से कुछ हिस्सा निकालने पर जगह खाली हो जाये अगरचे बाद में पुर हो जाये तो सिर्फ वही हिस्सा नजिस होगा जिसे निजासत लगी है लिहाज़ा अगर चूहें की मेंगन उस में गिर जाये तो जहाँ वह मेंगनी गिरी है वह जगह नजिस और बाक़ी पाक होगी। (म.न. 131) अगर मक्खी या ऐसा ही कोई और जानदार एक ऐसी तर चीज़ पर बैठे जो नजिस हो और इसके बाद किसी तर और पाक चीज़ पर जा बैठे और यह मालूम हो जाये कि इसके साथ निजासत थी तो पाक चीज़ नजिस हो जायेगी और अगर पता न चल सके तो पाक रहेगी।
(म.न. 132) अगर बदन के किसी हिस्से पर पसीना लगा हो और वह हिस्सा नजिस हो जाये और फिर पसीना बह कर बदन के दूसरे हिस्सों तक चला जाये तो जहाँ जहाँ यह पसीना पहुँचेगा वह हिस्से नजिस हो जायेंगे। लेकिन अगर पसीना आगे न वहे तो बाक़ी बदन पाक रहेगा।
*(म.न. 133) जो बलगम नाक या गले से खारिज हो अगर उसमें खून हो तो बलग़म में जहाँ खून होगा वह जगह नजिस और बाक़ी हिस्सा पाक होगासलिहाज़ा अगर यह बलग़म मुँह या नाक के बाहर लग जाये तो बदन के जिस मक़ाम के बारे में यक़ीन हो कि नजिस बलग़म उस पर लगा है नजिस है और जिस जगह के बारे में शक हो कि वहाँ बलग़म का निजासत वाला हिस्सा पहुँचा है या नही तो वह पाक है।
*(म.न. 134) अगर एक ऐसा लोटा जिसके पेंदें मे सुराख़ हो नजिस ज़मीन पर रख दिया जाये और उसे पानी बहना बंद हो जाये तो जो पानी उसके नीचे जमा होगा वह उसके अन्दर वाले पानी से मिल कर यक जा हो जाये तो लोटे का पानी नजिस हो जायेगा। लेकिन अगर लोटे का पानी तेज़ी के साथ बहता रहे तो नजिस नही होगा।
(म.न. 135) अगर कोई चीज़ बदन में दाख़िल हो कर निजासत से जा मिले लेकिन बदन के बाहर आने पर निजासत में न सनी हो तो वह चीज़ पाक है लिहाज़ अगर अनीमा का सामान या उसका पानी पेट मे डाला जाये या सूईं, चाकू या कोई और ऐसी चीज़ बदन में चुभ जाये और बाहर नुकलने पर निजासत में न सनी हो तो नजिस नही है। अगर थूक और नाक का पानी जिस्म के अन्दर ख़ून से जा मिले लेकिन बाहर निकलने पर उस में ख़ून न लगा हो तो उसका भी यही हुक्म है।