निजासात के अहकाम
  • शीर्षक: निजासात के अहकाम
  • लेखक: हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
  • स्रोत: al-shia.org
  • रिलीज की तारीख: 12:1:33 14-9-1403

(म.न. 136) क़ुराने करीम की तहरीर और वरक़ों को नजिस करना अगर बेहुरमती में शुमार होता हो तो हराम है और अगर नजिस हो जाये तो फ़ौरन पानी से धोना ज़रूरी है बल्कि अगर क़ुरान के वरक़ या तहरीर को नजिस करना बेहुरमती न भी समझा जाये तब भी एहतियाते वाजिब की बिना पर उसका नजिस करना हराम और पाक करना वाजिब है।


(म.न. 137) अगर क़ुरआने मजीद की जिल्द नजिस हो जाये और उस से क़ुराने मजीद की बेहुरमती होती हो तो उसको पाक करना ज़रूरी है।


*(म.न. 138) क़ुरआने मजीद को किसी ऐने निजासत पर रखना चाहे वह ऐने निजासत खुश्क ही क्यों न हो अगर क़ुरान की बेहुरमती का सबब बनता है तो हराम है।


(म.न. 139) क़ुरआने मजीद को नजिस रौशनाई से लिखना चाहे वह एक ही हरफ़ क्यों न हो कुरआन को नजिस करने का हुक्म रखता है।और अगर लिखा जा चुका है तो उसे धो कर, खुरच कर या किसी और तरीक़े से साफ़ करना ज़रूरी है।


(म.न. 140) अगर काफ़िर को क़ुरआने मजीद देना उसकी बेहुरमती का बाईस हो तो हराम है और उस से वापस लेना वाजिब है।


(म.न. 141) अगर क़ुरआने करीम का वरक़ या कोई ऐसी चीज़ जिसका एहतराम ज़रूरी है जैसे कोई ऐसा काग़ज़ जिस पर अल्लाह ताअला या नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम या किसी इमाम अलैहिस्सलाम का नाम लिखा हो पखाने में गिर जाये तो उसे बाहर निकालना और पाक करना वाजिब है, चाहे इस काम के लिए पैसा ही क्यों न खर्च करना पड़े और अगर उसका बाहर निकालना मुमकिन न हो तो ज़रूरी है कि उस पाख़ाने को उस वक़्त तक बंद रखा जाये जब तक यह यक़ीन न हो जाये कि वह काग़ज़ गल कर ख़त्म हो गया है। इसी तरह अगर किसी पाखाने में ख़ाके शिफ़ा गिर जाये और उसको निकालना मुमकिन न हो तो उस वक़्त तक उस पखाने को इस्तमाल नही करना चाहिए जब तक यह यक़ीन न हो जाये कि वह बिल्कुल ख़त्म हो चुकी है।


(म.न. 142) नजिस चीज़ का खाना पीना और किसी दूसरे को खिलाना पिलाना हराम है। लेकिन बच्चे और दीवाने को खिलाना पिलाना ज़ाहिरी तैर पर जायज़ है। और इसी तरह अगर बच्चा या दिवाना नजिस ग़िज़ा खाये पिये या नजिस हाथ से ग़िज़ा को नजिस कर के खाये तो उसे रोकना ज़रूरी नही है।


*(म.न.143)वह नजिस चीज़ जो पाक हो सकती हो उसको बेचने और उधार देने में कोई हरज नही है। अलबत्ता ख़रीदार या उधार लेने वाले को इस बारे में इन दो शर्तों के साथ बताना ज़रूरी है।


(पहली शर्त) जब इस बात का अंदेशा हो कि सामने वाला किसी वाजिब हुक्म की मुख़ालफ़त का मुरतकिब होगा मसलन उस नजिस चीज़ को खाने पीने में इस्तेमाल करेगा और अगर ऐसा न हो तो बताना ज़रूरी नही है।मसलन लिबास के नजिस होने के बारे में बताना ज़रूरी नही जिसे पहन कर सामने वाला नमाज़ पढ़े क्योँ कि लिबास का पाक होना शर्ते वाकई नही है।


(दूसरी शर्त) यह कि बेचने या उधार देने वाले को यह उम्मीद हो कि सामने वाला उसकी बात पर उमल करेगा और अगर जानता हो कि सामने वाला मेरी बात पर अमल नही करेगा तो बताना ज़रूरी नही है।


(म.न.144) अगर एक शख़्स किसी को कोई नजिस चीज़ खाते या नजिस लिबास में नमाज़ पढ़ता देखे तो उस से इस बारे में कुछ कहना ज़रूरी नही है।


*(म.न.145) अगर किसी के घर का कोई हिस्सा या दरी, क़ालीन वग़ैरह नजिस हो और वह देखे कि उस के घर आने वाले का बदन या लिबास या और कोई चीज़ तर होने की हालत में नजिस जगह से जा लगी है और वह ख़ुद (साहिबे ख़ाना) इस बात का बाईस हुआ है तो उस के लिए ज़रूरी है उन दो शर्तों के साथ जो म.न. 143 में बयान की गई हैं उनको इस बारे में बताये।


*(म.न.146) अगर मेज़बान को खाना खाने के दौरान पता चले कि खाना नजिस है तो उन दोनों शर्तों के साथ जो मसला न, 143 में बयान की गई है मेज़बान के लिए ज़रूरी है कि मेहमानों को इसके बारे में बताये। लेकिन अगर मेहमानों में से किसी को खाने के नजिस होने का इल्म हो जाये तो उसके लिए ज़रूरी नही है कि वह दूसरों को इस बारे में बताये। लेकिन अगर वह उन के साथ इस तरह घुल मिल कर रहता हो कि उन के नजिस होने की वजह से वह ख़ुद भी निजासत में मुबतला हो कर वाजिब अहकाम की मुख़ालफत का मुरतकिब होगा तो उनको बताना ज़रूरी है।


*(म.न.147) अगर कोई उधार ली हुई चीज़ नजिस हो जाये तो उन दोनों शर्तों के साथ जो म.न. 143 में बयान की गई हैं उसके मालिक को आगाह करे।


*(म.न.148) अगर बच्चा किसी चीज़ के बारे मे कहे कि यह नजिस हो गई है या कहे कि मैनें इस चीज़ को पाक कर लिया है तो उसकी बात का एतबार नही करना चाहिए लेकिन अगर बच्चा बलूग़ के क़रीब हो और वह कहे कि मैनें इस चीज़ को पाक कर लिया है जबकि वह चीज़ उसके इस्तेमाल में हो या बच्चे का क़ौल एतेमाद के क़ाबिल हो तो उसकी बात क़बूल कर लेनी चाहिए और यही हुक्म उस हाल में है जब कि बच्चा किसी चीज़ के नजिस होने की खबर दे।