361 मुजनिब इंसान पर निम्न लिखित पाँच कार्य हराम हैं।
• क़ुरआने करीम के अलफ़ाज और अल्लाह के नामों को छूना चाहे वह किसी भी ज़बान में लिखे हो। और बेहतर यह है कि पैगम्बरो, इमामों और हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के नामों को भी न छुवा जाये।
• मस्जिदुल हराम व मस्जिदुन नबी में जाना चाहे एक दरवाज़े से दाख़िल हो कर दूसरे दरवाज़े से बाहर निकलना ही क्योँ न हो।
• मस्जिदुल हराम व मस्जिदुन नबी के अलावा अन्य मस्जिदों में रुकना। और एहतियाते वाजिब यह है कि इमामों के हरम में भी न रुका जाये। लेकिन अगर आम मस्जिदों को केवल पार करना हो तो यानी एक दरवाज़े से दाख़िल हो कर दूसरे दरवाज़े से निकल जाना हो तो इसमें कोई हरज नही है।
• एहतियाते लाज़िम की बिना पर किसी मस्जिद में कोई चीज़ रखने या उठाने के लिए दाख़िल होना।
• कुरआने करीम की उन आयतों का पढ़ना जिन के पढ़ने पर सजदा वाजिब हो जाता हो। और वह आयते इन सूरोह में हैं- (अ) सूरह-ए-अलिफ़ लाम तनज़ील (ब) सूरह-ए- हाम मीम सजदह (स) सूरह-ए-वन नज्म (द) सूरह-ए –अलक़।
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नोटः वीर्य निकलने के बाद, ग़ुस्ल या तयम्मुम करने से पहले इंसान मुजनिब कहलाता है)