वुज़ू या ग़ुस्ल के बदले तयम्मुम ऐसे करें
  • शीर्षक: वुज़ू या ग़ुस्ल के बदले तयम्मुम ऐसे करें
  • लेखक: हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
  • स्रोत:
  • रिलीज की तारीख: 11:51:10 14-9-1403

वुज़ू या ग़ुस्ल के बदले तयम्मुम करने का तरीक़ा


(708) वुज़ू या ग़ुस्ल के बदले किये जाने वाले तयम्मुम में चार चाज़ें वाजिब हैं:

(1) नियत

(2) दोनों हथेलियों को एक साथ ऐसी चीज़ पर मारना या रखना जिस पर तयम्मुम करना सही हो। और एहतियाते लाज़िम यह है कि दोनों हाथों को एक साथ ज़मीन पर मारा या रखा जाये।

(3) पूरी पेशानी पर दोनों हथेलियों को फ़ेरना और इसी तरह एहतियाते लाज़िम की बिना पर उस मक़ाम से जहाँ सर के बाल उगते हैं भवों और नाक के ऊपर तक पेशानी के दोनों तरफ़ हथेलियों को फेरना और एहतियाते मुस्तहब यह है कि भवों पर भी हाथों को फेरा जायें।

(4) बायीं हथेली को दाहिनी हाथेली की पुश्त पर और उस के बाद दाहिनी हथेली को बायीं हाथेली की तमाम पुश्त पर फेरना।


(709) एहतियाते मुस्तहब यह है कि तयम्मुम चाहे वुज़ू के बदले हो या ग़ुस्ल के बदले इस तरतीब से किया जायेः दोनों हाथों को एक दफ़ा ज़मीन पर मारे जाये और पेशानी और हाथों की पुश्त पर फेरा जाये और एक दफ़ा फिर ज़मीन पर मार कर उनसे हाथों की पुश्त का मसा किया जाये।