सूरए आले इमरान की तफसीर
  • शीर्षक: सूरए आले इमरान की तफसीर
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  • रिलीज की तारीख: 19:53:6 1-9-1403

पवित्र क़ुरआन के सूरए आले इमरान में आया है कि अलिफ़ लाम मीम, अल्लाह जिसके अतिरिक्त कोई ईश्वर नहीं है और वह सदैव जीवित है और हर वस्तु उसी की कृपा से स्थापित है। उसने आप पर वह सत्य पुस्तक उतारी है जो समस्त पुस्तकों की पुष्टि करने वाली है और तौरैत व इन्जील भी उतारी है। इससे पहले लोगों के लिए मार्गदर्शन बनाकर और सत्य व अस्त्य में अंतर करने वाली पुस्तक भी उतारी है। निसंदेह जो लोग उस ईश्वरीय पुस्तक का इनकार करते हैं उनके लिए कठोर दंड है और ईश्वर कठोर प्रतिशोध लेने वाला है।


सऊदी अरब के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र नजरान के साठ लोगों पर आधारित ईसाइयों का एक गुट ईसाइयों का प्रतिनिधित्व करते हुए मदीना नगर आया ताकि इस्लाम धर्म के बारे में शोध करें। उनके मध्य एक व्यक्ति का जिसका नाम अबू हारिसा था। वह बहुत विद्वान भी था और लोगों में उसका बहुत अधिक प्रभाव था। उसने समस्त ईश्वरीय पुस्तकों को याद कर रखा था। यह गुट मस्जिदे नबी में प्रविष्ट हुआ। कुछ समय के बाद उनकी उपासना का समय आ पहुंचा। वे पूरब की ओर खड़े होकर उपासना करने लगे। पैग़म्बरे इस्लाम के कुछ साथियों ने उन्हें इस काम से रोकने का प्रयास किया किन्तु पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने साथियों से कहा कि उन्हें उपासना करने दें। उपासना के बाद ईसाइयों का गुट पैग़्मबरे इस्लाम के पास आया। पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें इस्लाम धर्म का निमंत्रण दिया ।


उन्होंने उत्तर दिया कि हम आप से पहले ही इस्लाम स्वीकार कर चुके हैं और ईश्वर के समक्ष समर्पित हो चुके हैं। पैग़म्बरे इस्लाम ने उनसे कहा कि आप लोग किस प्रकार स्वयं को सही धर्म पर मानते हैं जबकि ईश्वर के लिए संतान को स्वीकार करते हैं और हज़रत ईसा को ईश्वर की संतान मानते हैं? यह आस्था सत्य के विपरीत है। ईसाई महापुरुषों ने कहा कि यदि ईसा ईश्वर की संतान नहीं हैं तो फिर उनके पिता कौन हैं? पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि क्या आप लोग यह मानते हैं कि हर संतान अपने पिता की भांति होता है? उन्होंने कहाः हां, पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि क्या ऐसा नहीं है कि हमारा ईश्वर हर वस्तु पर छाया हुआ है और हर वस्तु को ठहराओ प्रदान करने वाला है, वह अपनी सृष्टि को आजीविका प्रदान करता है। ईसाइयों ने कहा, हां आप की बात सत्य है। पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि क्या हज़रत ईसा में यह गुण पाये जाते थे। उन्होंने कहाः नहीं, पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि क्या आप यह जानते हैं कि धरती व आकाश की कोई भी वस्तु ईश्वर से छिपी नहीं है, ईश्वर हर वस्तु के बारे में जानता है।


उन्होंने उत्तर दियाः जी हां हमें यह पता है। पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा  कि हज़रत ईसा उस वस्तु के अतिरिक्त जो ईश्वर ने उन्हें सिखाया था, स्वयं से कुछ जानते थे? उन्होंने उत्तर दियाः नहीं, पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि क्या आप लोग यह भी जानते हैं कि हमारा ईश्वर वह है जिसने हज़रत ईसा को मां के गर्भ में वही रूप प्रदान किया जो वह चाहता था? क्या ऐसा नहीं है कि उसने ईसा को अन्य बच्चों की भांति मां के गर्भ में स्थान दिया और उसके बाद अन्य मांओं की भांति, उन्हें पैदा किया। उन्होंने कहाः हां ऐसा ही है? पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा तो फिर हज़रत ईसा कैसे ईश्वर की संतान हो सकते हैं? जबकि वह तनिक भी अपने पिता जैसे नहीं हैं। जब बात यहां तक पहुंची तो सारे ईसाई चुप हो गये। उसी समय जिब्राईल सूरए आले इमरान की पहली से अस्सी से अधिक आयतें लेकर उतरें।


सूरए आले इमरान पवित्र क़ुरआन का तीसरा सूरा है और सूरए बक़रह के बाद आता है किन्तु इस सूरये के उतरने की दृष्टि से इसका 89वां नंबर है जो पवित्र नगर मदीने में पैग़म्बरे इस्लाम पर उतरा। कुछ व्याख्याकर्ताओं मानना है कि सूरए आले इमरान बद्र व ओहद नामक युद्ध के दौरान दूसरी से तीसरी हिजरी वर्ष के मध्य उतरा। सूरए आले इमरान में दो सौ आयतें हैं और यह पवित्र क़ुरआन के लंबे सूरों में से एक है।


सूरए आले इमरान की सातवीं आयत, मोहकम अर्थात क़ुरआनी आयतों को स्पष्ट व ठोस तथा मुतशाबेह अर्थात मिलती जुलती आयतों की ओर विभाजित करती हैं। ठोस व स्पष्ट आयतों में चर्चा करने का स्थान नहीं होता क्योंकि यह आयतें स्पष्ट होती हैं। इसीलिए इसके पढ़ने वाले बहुत ही सरलता से इसके अर्थ को समझ लेते हैं। उदाहरण स्वरूप, क़ुल हुआअल्लाहो अहद, कह दिजिए कि ईश्वर एक है।


किन्तु मिलती जुलती आयतों का उद्देश्य पाठकों के लिए स्पष्ट नहीं होता और इन आयतों को केवल सुनकर उसके अर्थ को समझ नहीं सकते। इस प्रकार की आयतों को समझने के लिए ठोस व स्पष्ट आयतों का रुख़ करना पड़ता है और उनकी सहायता से मिलती जुलती आयतों के अर्थ को समझा जा सकता है। सूरए आले इमरान की सातवीं आयत, ठोस आयतों को पवित्र क़ुरआन का आधार बताती है। शोधकर्ताओं ने ठोस आयतों को राजमार्ग और मिलती जुलती आयतों को गलि कूचों से संज्ञा दी है। स्पष्ट है कि यदि कोई व्यक्ति गलि कूचों में स्वयं को भटका हुआ देखता है तो वह स्वयं को राजमार्ग पर पहुंचाने का प्रयास करता है ताकि वहां से अपने मार्ग को सुधारे और सही मार्ग प्राप्त करे।


पवित्र के प्रसिद्ध व्याख्याकर्ता अल्लामा तबातबाई लिखते हैं कि पवित्र क़ुरआन स्वयं अपना व्याख्याकर्ता है और इसकी कुछ आयतें, दूसरी आयतों का स्रोत हैं। उदाहरण स्वरूप सूरए ताहा की आयत संख्या पांच में ईश्वर कहता है कि दयावान ईश्वर सिंहासन पर पूरे प्रभुत्व के साथ मौजूद है। यह आयत मिलती जुलती है। अल्लामा तबातबाई इस संबंध में कहते हैं कि आयत के सुनने वाले के लिए आरंभ में पता नहीं चलता कि सिंहासन पर ईश्वर के पूरे प्रभुत्व के साथ मौजूद रहने का क्या अर्थ है किन्तु अन्य आयतों को देखने के बाद पता चलता है कि वस्तुओं पर ईश्वरीय प्रभुत्व, अन्य रचनाओं पर उसके प्रभुत्व के अर्थ में नहीं है। इसका अर्थ यह है कि पूरी सृष्टि ईश्वरीय प्रभुत्व में है, न कि वह किसी सिंहासन व स्थान पर बैठा हुआ है जो कि भौतिक रचनाओं का काम है।


ईश्वर सूरए इमरान की आयत संख्या 14 में इस बिन्दु की ओर संकेत किया गया है कि  लोगों के लिए पत्नियों, संतानों, सोने-चांदी से बटोरे हुए धन, अच्छे घोड़ों, मवेशियों तथा खेतियों से प्रेम को अच्छा दिखाया गया है। यह सब सांसारिक जीवन की नश्वर वस्तुएं हैं अल्लाह के पासर अच्छा फल है। इसी प्रकार पंद्रहवी आयत में आया है कि क्या हे पैग़म्बर! कह दीजिए मैं तुम्हें इससे अच्छी वस्तुओं की ख़बर देता हूं। जो लोग अल्लाह से डरते हैं उनके लिए अल्लाह के पास ऐसे बाग़ हैं जिनके नीचे से नहरे बहती हैं और वहां पर वे सदैव रहेंगे। उनकी पत्नियां होंगी और अल्लाह की प्रसन्नता होगी और अल्लाह अपने बंदों को देखने वाला है।


सूरए आले इमरान की आयत संख्या तैंतीस और चौंतीस में आया है कि निसंदेह ईश्वर ने आदम, नूह और इब्राहीम तथा इमरान के परिवार को संसार में से चुन लिया है। ऐसा वंश जो (चुने हुए पिताओं द्वारा संसार में आया है और पवित्रता तथा विशेषताओं में एक समान है और कुछ अन्य, दूसरों से हैं, और ईश्वर सुनने तथा जानने वाला है।


यह आयतें लोगों के उस गुट की याद दिलाती हैं जिसे ईश्वर ने लोगों के मध्य चुना है और मानवीय समाज के मार्गदर्शन के लिए उनका चयन किया है। यह लोग आदम, नूह, आले इब्राहीम और आले इमरान हैं। आले इमरान इस सूरे के प्रसिद्धतम नामों में से है क्योंकि इस सूरे में आले इमरान की कहानी की ओर संकेत किया गया है। इमरान, हज़रत मरियम और हज़रत मूसा के पिता का नाम है। अलबत्ता इस सूरे में इमरान से हज़रत मरियम के पिता की ओर संकेत किया गया है और आले इमरान से तात्पर्य हज़रत मरियम और हज़रत ईसा का परिवार है जो पवित्र और चुने हुआ था। इस विषय पर हम अगले कुछ कार्यक्रमों में चर्चा करेंगे।


पवित्र क़ुरआन के सूरए आले इमरान में विभिन्न प्रकार के विषय पेश किये गये हैं किन्तु इसकी बहुत सी आयतें ईश्वरीय धर्म में आस्था रखने वालों, उनकी आत्मिक व मानसिक विशेषताओं व आस्थाओं से संबंधित है। इस सूरे में जिन विषयों को पेश किया गया है वह इस प्रकार हैः लोगों के लिए ईश्वरीय घर सुरक्षित है, अनेकेश्वरवादियों से मित्रता करने से बचना और उनका अनुसरण न करना, पराये लोगों पर भरोसा न करना और विभिन्न समुदायों में इस्लामी समुदाय का उदाहरणीय होना है। इसी प्रकार इस सूरे में संघर्ष व युद्ध में डटे रहना और प्रतिरोध करना, कठिनाइयों व परेशानियों में कमज़ोर न होना, ईश्वरीय मार्ग में त्याग के महत्त्व, शहीदों का जीवित रहना और ईश्वर के निकट उनके उच्च स्थान का वर्णन किया गया है।