वलीद बिन मुग़ीरा का क़िस्सा
  • शीर्षक: वलीद बिन मुग़ीरा का क़िस्सा
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  • रिलीज की तारीख: 14:34:30 3-9-1403

जिन लोगों को क़ुरआने मजीद ने चैलेंज किया था उसमें से एक वलीद बिन मुग़ीरा था जो उस ज़माने में अरब के दरमियान फ़िक्र व तदब्बुर के लिहाज़ से बहुत मशहूर था । एक दिन उसने पैग़म्बरे इस्लाम (स) से कहा कि क़ुरआन की चंद आयात पढ़िये, हुज़ूरे अकरम (स) ने सुर ए ‘’हाम मीम सजदा’’ की चंद आयतों की तिलावत फ़रमाई, उन आयतों ने वलीद के अंदर ऐसा असर किया कि वह बे इख़्तियार अपनी जगह से उठा और ‘’क़बील ए बनी मख़ज़ूम’’ की एक नशिस्त में पहुँचा औऱ कहने लगा कि ख़ुदा की क़सम मोहम्मद (स) से ऐसा कलाम सुना है जो न इंसानों जैसा कलाम है और न परियों जैसा... फ़िर उसने कहा: उनकी गुफ़्तार में एक ख़ास मिठास और मख़सूस जमाल है, उसकी बुलंदी फलदार दरख़त की तरह और उसकी बुनियाद मोहकम है, वह एक ऐसा कलाम है जो हर कलाम पर ग़ालिब रहेगा और उस पर कोई ग़ालिब न हो पायेगा ।

यह बात सुनकर सब हैरान रह गये और सब कहने लगे कि वलीद मोहम्मद (स) पर फ़िदा हो गया है लेकिन वलीद ने कहा क्या तुम समझते हो मोहम्मद (स) दीवाने हैं? आज तक उन पर कभी दीवानगी के आसार दिखाई दिया हैं? लोगों ने कहा: नही! फिर वलीद ने पूछा: क्या तुम यह तसव्वुर करते हो कि मोहम्मद (स) झूठे? हैं क्या आज तक तुम्हारे दरमियान वह सदाक़त व अमानत में मशहूर नही हैं?! क़ुरैश के सरदारों ने कहा तो फिर हम उनकी तरफ़ कौन सी निस्बत दें? वलीद ने कुछ देर सोचने के बाद कहा हम यह कहते हैं कि वह ‘’जादूगर’’ हैं।

क़ुरैश ने यह बात सारे अरब में फैला दी कि मोहम्मद (स) जादूगर हैं उनकी आयात जादू हैं उनसे दूरी इख़्तियार करो और उनकी बातों को न सुनो लेकिन उनकी तमाम कोशिशें नाकाम हो गयीं, हक़ीक़त के तिशना अफ़राद जूक़ दर जूक़ क़ुरआन के दामन में पनाह लेने लगे और इस असमानी पैग़ाम से सैराब होने लगे, दुश्मनों को शिकस्ते फ़ाश का सामना करना पड़ा।

आज भी क़ुरआन दुनिया वालों को चैलेंज कर रहा है कि ऐ फ़लसफ़ियों, ऐ अदीबों अगर तुम उम आयात की हक़्क़ानियत के बारे में शक करते हो तो उसका जवाब लाओ!!

यहूदियत व ईसाईयत, इस्लाम और क़ुरआन के ख़िलाफ़ हर पर साल करोड़ो डाँलर ख़र्च कर रही है लेकिन हम कहते हैं कि इतना ख़र्च करने की जगह तुम क़ुरआन का चैलेंज मान लो और इस क़ुरआन के किसी एक सूरह का भी जवाब ले आओ।

ख़ुलासा


-क़ुरआने मजीद, रसूले इस्लाम का सबसे बड़ा मोजिज़ा है इस लिये कि वह लोगों की रूह व फ़िक्र से साज़गार और हमेशा बाक़ी रहने वाला है, उसने अपने मुनकिरों को चैलेंज किया है कि उसका मिस्ल ला कर दिखाओ!

-क़ुरआन में कई मक़ाम पर मुनकिरों को चैलेंज किया किया है और सबसे आसान शक्ल में अपना चैलेंज पेश करते हुए कहा है कि सिर्फ़ एक सूरह ही लाकर दिखाओ।

-आज भी क़ुरआन दुनिया वालों को चैलेंज कर रहा है कि अगर तुम्हें इसकी आयतो के बारे में शक है तो उसकी मिसाल ला कर दिखाओ।