इंसान के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण जवानी और जवानी में परिवार का गठन है। जिस तरह प्रकृति के एक मौसम का नाम बहार है और उसमें चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती है उसी तरह इंसान की जवानी भी ज़िन्दगी की बहार है। जवानी वह समय होता है जब जवान शारीरिक व बौद्धिक दृष्टि से बालिग़ होता है और उसमें जवान अपने जीवन के निर्णायक दौर में होता है और संयुक्त जीवन आरंभ करने के लिए भी जवानी महत्वपूर्ण दौर होती है।
विवाह और परिवार गठन की अलग २ सोच, लक्ष्य और कारण होते हैं और उनमें से हर एक के बहुत ख़तरनाक या बहुत अच्छे परिणाम सामने आते हैं। कभी इंसान शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विवाह करता है, कभी ईश्वरीय सामिप्य प्राप्त करने और परिपूर्णता तक पहुंचने के लिए करता है, इंसान कभी विवाह इसलिए करता है कि कोई उसका हो जिससे वह अपने दिल की बात करे, उससे प्यार करे और उसके सुख़- दुख में काम आये। इंसान कभी अपनी नस्ल को बाक़ी रखने के लिए विवाह करता है और कभी महान ईश्वर की बंदगी में सहायता के लिए विवाह करता है। इसी प्रकार विवाह के कुछ दूसरे कारण भी हो सकते हैं।
ईरान के महान बुद्धिजीवी उस्ताद शहीद मुर्तज़ा मुतह्हरी विवाह के विदित और निहित परिणामों के बारे में कहते हैं” कुछ नैतिक विशेषताएं ऐसी होती हैं जिन्हें इंसान विवाह किये बिना प्राप्त नहीं कर सकता। विवाह यानी दूसरों के भविष्य के प्रति इंसान में एक प्रकार की रुचि का पैदा होना। इस्लाम में विवाह को एक पवित्र कार्य और उपासना बताया गया है इसका एक कारण यही है। विवाह वह पहला चरण है जिससे इंसान व्यक्तिगत जीवन से बाहर निकलता है और उसके जीवन का दायरा बढ़ जाता है। विवाह के बाद इंसान में एक प्रकार की मज़बूती आती है जो विवाह के बिना संभव नहीं है। वह मज़बूती स्कूल में नहीं आ सकती, आत्म संघर्ष से पैदा नहीं हो सकती। नमाज़े शब अर्थात रात को पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज़ या भले लोगों के प्रति श्रृद्धाभाव से पैदा नहीं हो सकती। इसे केवल विवाह द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।“
विवाह और पति- पत्नी के मध्य प्रेम उत्पन्न करना ऐसा विषय है जिस पर इस्लाम में बहुत बल दिया गया है। विवाह पति- पत्नी के बीच हार्दिक प्रेम का कारण बनता है और वह इंसान के शांति प्रदान करता है। इस भावना का स्रोत इंसान की प्रवृत्ति में है और वह इतना महत्वपूर्ण है कि महान ईश्वर विवाह के रहस्य को बयान करते हुए फरमाता है कि ईश्वर की निशानियों में से है कि तुम्हारा जोड़ा तुम्हारे ही लिंग से बनाया है ताकि तुम एक दूसरे से शांति प्राप्त कर सको।“
अच्छा जीवन साथी सफलता तक पहुंचने में इंसान की सहायता करता है और इंसान विभिन्न क्षेत्रों में परिपूर्णता के चरणों को तय करता है।
पावन बंधन या विवाह का एक अन्य लाभ यह है कि विवाह से इंसान का आधा धर्म सुरक्षित हो जाता है और वह अनैतिक कार्यों व बातों में अपना समय नष्ट करने के बजाये सार्थक कार्यों में अपना समय लगाता है और अच्छे कार्यों के माध्यम से अपने शेष आधे धर्म को भी सुरक्षित करने का प्रयास करता है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही फ़रमाते हैं” जो व्यक्ति विवाह करता है वह अपना आधा धर्म सुरक्षित कर लेता है तो तक़वा अर्थात ईश्वरीय भय अपनाओ ताकि शेष आधा धर्म भी सुरक्षित हो जाये।“
पैग़म्बरे इस्लाम एक अन्य स्थान पर विवाह को अपनी सुन्नत व परपंरा बताते हुए फ़रमाते हैं “व्यक्ति की सफ़लता की एक निशानी अच्छी धर्म पत्नी का होना है।“ पैग़म्बरे इस्लाम विवाह को रोज़ी बढ़ने का कारण बताते और फ़रमाते हैं विवाह करो कि वह तुम्हारे लिए रोज़ी लाने वाला है।“
महान ईश्वर इस बात को पसंद नहीं करता है कि लोग रोज़ी के भय से विवाह न करें क्योंकि महान ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन में वादा किया है कि अगर वे निर्धन होंगे तो हम अपनी असीमित कृपा से उन्हें आवश्यकतामुक्त कर देंगे। महान ईश्वर पवित्र क़ुरआन में कहता है” जिन पुरुषों और महिलाओं के पास पति या पत्नी नहीं है उनका विवाह करो। इसी प्रकार अपने भले दासों और भलि दासियों का विवाह करो। ईश्वर अपनी कृपा से उन्हें आवश्यकता मुक्त कर देगा।“
विवाह विशेषकर युवा पीढ़ी के विवाह में एक महत्वपूर्ण विषय सही चयन है। जवान लड़का और लड़की दोनों एहसास व भावना की दुनिया में होते हैं इसलिए दोनों को सोच- विचार और परामर्श की आवश्यकता होती है। लड़के और लड़की के निकटवर्ती लोगों को चाहिये कि वे एक अच्छे जीवन साथी के चयन में दोनों की सहायता करें और इस बात की अनुमति न दें कि विदित सुन्दरता के धोखे में आकर वे ऐसा कोई कार्य कर बैठें जिससे पूरी ज़िन्दगी पछतायें या कुछ समय के बाद तलाक़ की नौबत आ जाये।
जवान वैचारिक स्वाधीनता तक पहुंचने के प्रयास में होता है। अपनी कमियों को दूर करने और अनगिनत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विवाह के लिए उसे प्रोत्साहित किया गया है और अच्छे व योग्य जीवन साथी का चयन परिपूर्णता का कारण बनता है। विवाह के बाद जवान ज़िम्मेदारी का आभास करने लगता है और अपने परिवार व समाज के विकास व उन्नति के लिए अपनी समस्त योग्यताओं व क्षमताओं का प्रयोग करता है। इस आधार पर विकास को सफल विवाह का एक सुपरिणाम माना जा सकता है। क्योंकि महिला और पुरुष दोनों को शारीरिक व आत्मिक दृष्टि से एक दूसरे की आवश्यकता होती है और दोनों एक दूसरे के साथ रहकर पूरिपूर्णता में एक दूसरे की सहायता करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों के अनुसार वैचारिक व मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ दूसरों से संतुलित समन्वय, व्यक्तिग और सामाजिक सुधार और तार्किक व न्यायपूर्ण ढंग से विरोधासी एवं व्यक्तिगत रुझानों का समाधान है।
इस बात को ध्यान में रखना चाहिये कि विवाह में देरी करने से व्यक्ति और समाज को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। विवाहरहित जवान बहुत जल्द सांस्कृतिक हमलों का शिकार बन जाता है और सांस्कृतिक दृष्टि से वह समाज में नकारात्मक प्रभाव डालता है। जो लोग अकेले जीवन व्यतीत करते हैं सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी व सम्मिलिति बहुत कम होती है। विवाह में जब देरी हो जाती है और उम्र अधिक हो जाती है तो अच्छे व योग्य विवाह के लिए मापदंड के रूप में जिन बातों को ध्यान में रखा जाता है उन पर कम ही ध्यान दिया जाता है और विवाह के लिए योग्य लड़की या लड़के का मिलना भी कठिन हो जाता है। इसी तरह जब विवाह में देरी होती है तो देश व समाज विशेषकर जवानों की जनसंख्या कम होने लगती है और विवाह में देरी का यह दुष्परिणाम समाज के हर क्षेत्र पर पड़ता है।
किये गये बहुत से अध्ययनों के अनुसार अपराधों में वृद्धि का एक कारण विवाह में देरी है। ब्रिटेन में एक अध्ययनकर्ता की रिपोर्ट इस बात की सूचक है कि जीवन साथी और पारिवारिक जीवन के प्रति प्रेम उन चीज़ों में से है जो पुरुषों द्वारा अपराधों में कमी का कारण है। इस अध्ययन को ब्रिटेन में अपराधों के कारणों की पहचान करने वाले एक विशेषज्ञ व प्रोफेसर जान लाब ने किया है। उनके अध्ययन इस बात के सूचक हैं कि जो लोग समय पर विवाह करते और परिवार का गठन करते हैं संभव है कि वे अपराध और क़ानून के विरुद्ध कार्यों को कम अंजाम दें। परिवार के गठन और समाज में एक उचित स्थान मिल जाने से बहुत से इंसानों का भविष्य परिवर्तित हो गया और उन्होंने अच्छा जीवन व्यतीत किया।
ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई कहते हैं” एक परिवार में विवाह, जीवन का महत्वपूर्ण अवसर है। विवाह, महिला और पुरुष दोनों के लिए जीवन में आत्मिक शांति का कारण है। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता कहते हैं विवाह शांति का साधन है, वह एक जीवन साथी प्राप्त करने का साधन है, यह वह चीज़ है जो हर इंसान के जीवन के लिए आवश्यक है इस बात की अनदेखी करते हुए कि वह इंसान की प्राकृतिक आवश्यकता का उत्तर भी है और वंश का जारी रखना तथा संतान होना भी जीवन की बहुत बड़ी खुशी है। ईश्वर विवाहित व संयुक्त जीवन को पसंद करता है। इंसान अकेला, पुरुष अकेला और महिला अकेली, जो पूरा जीवन अकेले गुज़ारते हैं, इस्लामी दृष्टिकोण के अनुसार एक अजनबी प्राणी की भांति हैं। इस्लाम ने इस तरह चाहा है कि परिवार समाज में एक सेल की भांति हो न कि अकेला व्यक्ति।