आदर्श जीवन शैली-4
  • शीर्षक: आदर्श जीवन शैली-4
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  • रिलीज की तारीख: 20:56:50 13-9-1403

समय का महत्व और इसका संचालन
शायद बहुत से लोगों की यह अभिलाशा हो कि दिन के चौबीस घंटे इससे ज़्यादा हों। हम में से बहुत से लोग व्यस्त दिनों में इस प्रकार की इच्छा करते हैं। हमारे पास समय नहीं है या समय नहीं मिल पाया या इससे मिलते जुलते वाक्य इन दिनों बहुत अधिक सुनने में आते हैं। बड़े शहरों में लोगों के मुंह से समय की कमी का दुखड़ा बहुत सुनने में आता है कि जहां लोग व्यवसिक या जीवन संबंधी मामलों में लगे रहने के कारण इस प्रकार की बात करते हैं। यही कारण है कि हम में से हर एक को अपने दैनिक जीवन के काम को अंजाम देने के लिए समय के सही संचालन की ज़रूरत है क्योंकि हमारे सामने ट्रेफ़िक, मार्ग की दूरी या उसके फैलाव या दूसरी बहुत सी समस्याएं हैं कि जिनका पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
समय एक मूल्यवान पूंजि है जो हर दिन समाप्त हो जाती है। केवल वे लोग भविष्य और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में अपने विगत पर नहीं पछताएंगे जो समय जैसी मूल्यवान पूंजि का हर क्षण सदुपयोग करते हैं। हममें से बहुत से लोगों के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में अपूरणीय क्षति का बहुत बड़ा कारण समय का सही उपयोग न करना है। समय एकमात्र ऐसी पूंजि है जिसके द्वारा हर चीज़ हासिल की जा सकती है किन्तु सारी चीज़ ख़र्च करके एक क्षण हासिल नहीं किया जा सकता। क्या अब तक इस बिन्दु पर हमने ध्यान दिया कि समय के सही संचालन द्वारा हम अपनी इच्छाओं तक पहुंच सकते हैं। सफलता या असफलता समय के प्रयोग पर निर्भर है। हमारा जीवन कैसा है यह समय के संचालन पर निर्भर करता है।
समय के संचालन में कुछ मूल बिन्दुओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है, जैसे समय का विभाजन, उसका खंडीकरण, उद्देश्य का निर्धारण और जीवन के मामलों को प्राथमिकता देना, गतिविधियों को सुव्यवस्थित करना, जीवन के कार्यक्रम, और कार्यक्रम को क्रियान्वित करने के लिए संकल्प तथा समय में विघ्न डालने वाले तत्वों को दूर करना।
समय को बर्बाद करने वाले तत्वों की पहचान करना इससे संघर्ष के मार्ग में मूल क़दम समझा जाता है। समय को ख़राब करने वाले तत्वों की पहचान के लिए अपने अध्ययन की शैली की समीक्षा तथा मौजूद रुकावट को पहचानना चाहिए। समय के सदुपयोग के मार्ग में रुकावट को पहचानने के लिए अपनी दिनचर्या की समीक्षा एक उचित मार्ग समझी जाती है कि इस परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति अपने दैनिक क्रियाकलापों को लिखना और फिर उसकी दिन, हफ़्तों और महीनों समीक्षा से मौजूद कमियों का पताया लगाया जा सकता है। सुस्ती, और ग़लत आदतें भी समय को बर्बाद करने वाले सबसे बड़े कारण समझे जाते हैं। समय को छीनने वाले भी समय को बर्बाद करने वाले दूसरे तत्व हैं। अनुशासन का अभाव, सुस्ती और इच्छाशक्ति की कमी, काम को दुबारा करना और ग़लत इच्छाओं को न नकार पाना, एकाग्रता न होना, आज और कल पर काम को टालना और पराजय का डर उन तत्वों में हैं जो समय को नष्ट करते हैं।
इस बात में संदेह नहीं कि प्रगति व तरक़्क़ी वही लोग करते हैं जो क़दम उठाने में तेज़ी करते हैं। ढुलमुल रवैये वाले लोग किसी काम को अंजाम देने में इतनी देर करते हैं कि सब चीज़ ख़राब हो जाती है और समय बर्बाद हो जाता है। इसलिए यदि काम में आगे रहना चाहते हैं तो मन से दुविधा व असमंजस को दूर कीजिए। असमंजस भी समय के बर्बाद होने का कारण बनता है और समय का सही संचालन नहीं हो पाता। इस संदर्भ में हज़रत अली अलैहिस्सलाम नहजुलबलाग़ा में कहते हैः यदि किसी चीज़ का भय है तो उसी ओर बढ़ो।
यह सिद्धांत, जोखिम उठाने के सिद्धांतों में शामिल है।  यहां भय से तात्पर्य वह मानसिक स्थिति है जिसका व्यवहार में अस्तित्व नहीं है। अलबत्ता इस बिन्दु का उल्लेख भी ज़रूरी लगता है कि समय के संचालन के लिए ज़रूरी नहीं है काम को जल्दबाज़ी में किया जाए बल्कि कभी कभी किसी काम को अंजाम देने से पहले उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में बहुत ज़्यादा सोचना पड़ता है। इसी प्रकार क्रोध की स्थिति में निर्णय लेने से बचना चाहिए। किसी काम में उसका समय आने से पहले जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए और हर काम को उसके निर्धारित समय पर करना चाहिए। जो व्यक्ति उस काम के लिए जल्दबाज़ी करे कि जिसके अंजाम देने का समय अभी नहीं आया है, तो ऐसा  व्यक्ति उस बाग़बान के समान है जो फल को कच्ची हालत में तोड़ता है और दूसरे की ज़मीन में अपना बीज बोता है कि यह एक मूर्खता की निशानी है।
ऐसे बहुत से लोग हैं जो किसी काम में जल्दबाज़ी करते हैं किन्तु जब उस तक पहुंचते हैं तो कामना करते हैं कि काश धैर्य से काम लिया होता।
समय के संचालन और उसके आवंटन के संबंध में एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि जीवन के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर तय कीजिए और किस समय उसे करना है वह भी तय कीजिए। हर काम के लिए समय का निर्धारण और प्राथमिकता व महत्व के आधार पर उसका आना उन मामलों में है जिस पर समय के संचालन के संबंध में ध्यान दिया जाना चाहिए। बहुत से कामों में टाल-मटोल एक कारण उसके अंजाम देने के सही समय के संबंध में अनभिज्ञता होती है। जब किसी काम के लिए समय सीमा का निर्धारण नहीं होता तो उसे अंजाम देने में प्रायः टाल-मटोल किया जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि हर काम के अंजाम देने के लिए ज़रूरी समय सीमा को समझें  और उसी आधार पर उसे समाप्त करने का समय भी तय करें। ईश्वर की एक विशेषता यह भी है कि उसने इस संसार के हर मामले के लिए लक्ष्य, व्यवस्था, योजना, और समय सीमा निर्धारित की है। इसलिए हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि अपने काम को लक्ष्यपूर्ण बनाएं और उसके लिए समय सीमा निर्धारित करें।
थोड़ा सा ध्यान देने से यह बात समझ में आ सकती है कि बहुत से धार्मिक आदेशों के पालन के लिए समय विशेष किया गया है। जैसे नमाज़ पढ़ने, रोज़ा रखने, हज करने इत्यादि के लिए ज़रूरी है कि इन्हें समय पर अंजाम दिया जाए।
ईश्वरीय आदेशों को सही समय पर अंजाम देना यह दर्शाता है कि हम समय का सही संचालन कर रहें और समय के महत्व को समझते हैं। समय के संचालन द्वारा हर काम को कार्यक्रमानुसार आरंभ और सही समय पर समाप्त और समय को बर्बाद करने से बचा जा सकता है। हज़रत अली ने नहजुल बलाग़ा में पत्र क्रमांक 53 में यह अनुशंसा की है कि जिस काम को जिस दिन अंजाम के लिए विशेष किया है उसे उसी दिन सही समय पर अंजाम दो और उसे कल पर मत टालो। हर काम के लिए समय निर्धारित करते समय इस बात की भी अनुशंसा की गयी है कि महत्वपूर्ण काम हमें उस समय करने चाहिए जब शरीर में ऊर्जा एवं उत्साह सबसे अधिक हो। जैसे भोर के समय को अध्ययन और व्यायाम के लिए विशेष करना चाहिए।
समय का सही उपयोग करने के लिए एक उपाय, अवसर से लाभ उठाना भी है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम अवसर के महत्व का उल्लेख करते हुए उसे जल्दी से गुज़र जाने वाले बादल से उपमा देते हुए कहते है,“अवसर बादल की तरह गुज़र जाते हैं इसलिए भले अवसर की क़द्र करो।”
हज़रत अली की दृष्टि में परलोक के लिए रसद इकट्ठा करने के लिए अवसरों से लाभ उठाना, ईश्वर से डरने वालों तथा बुद्धिमान लोगों की विशेषता है और अवसर को गंवाना या काम का समय आने से पहले उसमें जल्दबाज़ी करना मूर्खता है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम नहजुल बलाग़ा में भाषण क्रमांक 232 में कहते है,“मिलने वाले अवसर को तुरंत प्रयोग करो क्योंकि हर चीज़ के लिए एक नियत समय है।” इस्लामी शिक्षाओं में जिन अवसरों से लाभ उठाने पर सबसे अधिक ज़ोर दिया गया है वह जीवन, स्वास्थ, धन, युवावस्था, किन्तु इस सब चीज़ों को सामयिक मानता है और अपने अनुसरणकर्ताओं से हज़रत अली नहजुल बलाग़ा के भाषण क्रमांक 82 में अनुशंसा करते हैं कि इससे पहले की ये अनुकंपाएं हाथ से चली जाएं इनसे ईश्वर के आज्ञापालन में बेहतरीन ढंग से लाभ उठाया जाए।
समय व अवसर के सदुपयोग के संबंध में अनुशंसा की गयी है कि हमे ऐसे मार्ग ढूंढने चाहिए जिससे हम अपने समय व संभावनाओं को उन मामलों पर केन्द्रित करें जो हमारे से लिए सर्वाधिक अहमियत रखते हैं। इसी प्रकार हमें ऐसे मार्ग ढूंढने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए जिससे हमारे क्रियाकलाप में पूरी तरह परिवर्तन आ जाए इस प्रकार से कि हमारी गतिविधियां हमारे दीर्घकालिक उद्देश्य से पूरी तरह समन्वित हों।
समय के संचालन में एक गंभीर रुकावट काम को अंजाम देने में अकारण टाल मटोल करना भी है। काम को आज कल पर टालना ये सबके सब समय को नष्ट एवं उम्र जैसी मूल्यवान संपत्ति को बर्बाद करने वाले तत्व हैं कि इनसे दृढ़ संकल्प से निपटा जाए। काम में तेज़ी भी सफलता की मूल शर्त है। हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि स्वयं को किसी काम को तेज़ी से और सही ढंग से अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित करें। इस प्रकार हम समय के संचालन द्वारा अपने जीवन में बड़े परिवर्तन का आभास करेंगे।