ख़ुशियां मनुष्य को दुख दर्द और परेशानियों से मुक्त करती हैं। जो व्यक्ति भी स्वयं से कष्ट और दुख दर्दों को दूर करना चाहता है उसे इस बात की कदापि अनुमति नहीं देना चाहिए कि चिंताएं व निराशाएं उसकी आत्मा को दुखी करें और मन की शांति प्राप्त करे यद्यपि वह घटनाओं के तूफ़ान में ग्रस्त हो।
मन की स्थाई शांति को प्राप्त करने का एक मार्ग उन विचारों से दूर रहना है जो हमारी आत्मिक शांति को ख़तरे में डालती है। हम सभी ने थोड़ा बहुत अनुभव किया ही होगा। हम सभी जानते हैं कि नकारात्मक सोच मानसिकता को ख़राब करने का कारण बनती है। हम जितना भी स्वयं को इस बात की अनुमति देंगे कि विध्वंसक सोच हमें आ घेरें तो हमने स्वयं ही अपनी कठिनाइयों और परेशानियों के लिए भूमि समतल की है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हम जिस चीज़ के बारे में सोचते हैं हम उसकी ओर उतना ही खिंचते जाते हैं, यद्यपि वे हमारी सोच से मेल न न खाती हो तब भी, क्योंकि हमारा मस्तिष्क सदैव उन विचारों की ओर चलता है, न कि उन विचारों से बचता है। हमारा मस्तिष्क एक चुंबक की भांति है। ख़ुशियों और प्रसन्नताओं के बारे में सोचना, उनकी प्राप्ति का कारण बनती है। इस महत्त्वपूर्ण बिन्दु पर ध्यान रखना आवश्यक है कि योग्य विचारों का चयन और उसे अपनी अपनी अंतर्रात्मा में स्थान देना, अच्छे आभास का कारण बनती है।
ईश्वरीय गुणगान और ज़बान व हृदय से ईश्वर को याद करने पर धार्मिक शिक्षाओं के बल का एक कारण यह है कि विचार और भावनाएं, विध्वंसक विचारों के आक्रमण से सुरक्षित रखती हैं। ईश्वरीय गुणगान, ग़लत व शैतानी विचारों के आक्रमण में रुकावट पैदा करती हैं। इन विचारों से मस्तिष्क का पवित्र होना, मनुष्य की आंतरिक प्रसन्नता में प्रभावी भूमिका निभाता है। जब भी यह विचार हम पर आक्रमण करते हैं, ईश्वरीय गुणगान करके उसकी शरण में जाया जा सकता है और अच्छी भावनाओं का आभास किया जा सकता है।
कभी कभी कटु घटनाएं हमारी ख़ुशियों में रुकावट बन जाती हैं और यदि हम अतीत की कटु घटनाओं को न भूलें और अपने दुखद अतीत को निरंतर याद करते रहें तो न केवल यह कि हम कुछ परिवर्तित नहीं कर सकते बल्कि हमने इस मुर्दा घटना को इस बात की अनुमति दी कि हमारे आज और कल दोनों को ख़राब करे। मनोवैज्ञानिक सलाह देते हैं कि अतीत में घटने वाली घटनाओं को याद करने का प्रयास नहीं करना चाहिए और इनमें से हर एक को अपने बेहतर जीवन के लिए अनुभव के रूप में प्रयोग करना चाहिए। सुखद व आनंदमयी जीवन हमें तभी प्राप्त होगा जब हम यह स्वीकार कर लें कि अतीत गुज़र चुका है और भविष्य भी अभी नहीं आया है और आज को मूल्यवान समझे और उसे ख़ुशियों से भर दें। भविष्य के बारे में बुरी कल्पनाओं और अशुभ विचारों से बचे और स्वयं को शैतानी उकसावे से दुखी न करें।
प्रसन्नता और ख़ुशियों की चाबी, वर्तमान में अपने मस्तिष्क को केन्द्रित करना है, इस वास्तविकता को स्वीकार करना है कि हमारी सारी जमा पूंजी है और मन की शांति और हमारी व्यक्तिगत उपियोगिता का स्तर, वर्तमान समय में हमारे जीवन की क्षमता पर निर्भर करता है। फ़्रांस के महान शायर विक्टर ह्यूगो का कहना है कि हमारी पूरी आयु सफलता और कल्याण की प्राप्ति के प्रयास से जुड़ी हुई है जबकि सौभाग्य इसी क्षण में था जिसमें कल्याण के बारे में हमने विचार किया।
वर्तमान समय पर अच्छी तरह ध्यान देना बच्चों में भलिभांति देखा जा सकता है। वे वर्तमान समय में पूरी तरह डूब जाते हैं और वर्तमान खेल में तन मन से व्यस्त होते हैं, अतीत से अप्रसन्न हुए और भविष्य के प्रति चिंतित हुए बिना, यही कारण है कि वे सदैव प्रसन्न रहते हैं। वर्तमान समय में जीना, इस अर्थ में है कि जीवन के क्षण क्षण को वास्तविक रूप से पहचाने। उसकी ख़ुशियों से आनंद ले और प्रसन्नचित व प्रभावित करने वाले क्षणों को समझें और अतीत व भविष्य की कटु घटनाओं व दुखों को भूल जाएं।
यह एक ऐसा सुन्दर आभास है जिसकी छत्रछाया में बहुत ही सादगी से अतीत की बुराईयों को भूल सकते हैं और बहुत शांति से जीवन के शोर शराबों से दूर रह सकते हैं, आयु को पूंजी समझें जिससे केवल एक ही बार लाभ उठाया जा सकता है और मरने के बाद उसका कोई भी लाभ नहीं होता। अलबत्ता वर्तमान समय से उचित ढंग से लाभ उठाना, भविष्य के लिए सही कार्यक्रम न बनाने के अर्थ नहीं है बल्कि इसका अर्थ यह है कि हमें अतीत के दुखों और भविष्य की चिंताओं को अपनी भीतरी ख़ुशियों पर पानी फेरने की अनुमति नहीं देना चहिए। जीवन निर्माण प्रक्रिया है। चूंकि जो काम हम आज अंजाम देते हैं और जो भविष्य में अंजाम देंगे, उसका प्रभाव होता है और आज के प्रयासों का कल फल मिलने वाला है। बहुत से लोग इस बात से निश्चेत हैं कि महत्त्वपूर्ण वह गतिविधि है जिसे आज कल्पनाओं और मीठे मीठे सपनों से दूर रह कर अंजाम दी जाती है। शायद कुछ दिन आज की ज़िम्मेदारियों से निश्चेत होकर व्यतीत किया जाए किन्तु जल्दी या देर से ऐसा कल आने वाला है जिसका हिसाब देना है और अपने अतीत का उत्तरदायी होना है। आज महत्त्वपूर्ण यह है कि आज का काम आज ही करें कल पर न छोड़ें।
एक अन्य मार्ग जो हमारी आत्मा को शांति प्रदान करता है, जीवन का लक्ष्य पूर्ण होना है। लक्ष्य उसे कहा जाता है जो सदैव हमें सक्रिय, प्रयास और प्रोत्साहित करता है और एक सुखद जीवन को रेखांकित करता है। लक्ष्यपूर्ण जीवन रखने वाला मनुष्य भविष्य को लेकर सदैव आशान्वित और संतुष्ट होता है। वे कठिन से कठिन समय में आशा और प्रेम से ओत प्रोत आत्मा के साथ अपनी उमंगों को एक क्षण के लिए भी नहीं गंवाते। यह वही भीतरी उत्साह व प्रफुल्लता है जिस पर इस्लामी शिक्षाएं बल देती हैं। ऐसी विभूतियां जिससे मनुष्य बिना लक्ष्य के लाभान्वित नहीं हो सकता। यद्यपि मनुष्य स्वयं को विदित रूप से झूठी ख़ुशियों में व्यस्त कर ले तब भी।
ख़ुशियों की प्राप्ति का एक मार्ग यह है कि मनुष्य सदैव स्वयं को अच्छाई से याद करे और अपनी बातों में सुन्दर सुन्दर व मनोरम शब्दों का प्रयोग करें और सदैव बात करने में मीठी वाणी प्रयोग करें । अलबत्ता यह घमंड अपने मुंह मिया मुट्ठु बनने के अर्थ में नहीं है। विश्व हमारा ही प्रतिबिंबन है, जब हम स्वयं को पसंद करते हैं, तो हम सब को पसंद करते हैं और जब हम स्वयं से ही ऊब चुके हों तो किसी को भी चाह नहीं सकते। अतीत की सफलताओं और आज की क्षमताओं के दृष्टिगत वांछित जीवन व्यतीत कर सकते हैं, अपने सगे संबंधियों का रोचक व मनोरम चित्रण के कारण विश्व हमारी नज़र में पसंदीदा बन जाता है।
प्रेम व आशा से ओत प्रोत व सकारात्मक बयानों का प्रयोग मन की ख़ुशी का परिणाम है जो मनुष्य को सदैव सफल बनाता है।
ख़ुश जीवन व्यतीत करना एक फ़ैसला है। यह एक ऐसा बुद्धिमत्तापूर्ण फ़ैसला है जो समस्त कठिनाइयों और परेशानियों में मूल्यवान अनुभव के स्थान पर होता है। कठिनाइयों और परेशानियों के समय हमें पता चलता है कि परेशानियां इतनी दुखी नहीं होती। इन कटु अनुभव के स्वादिष्ट फल हमारी दृष्टि में मार्ग तय करने को सरल बनाते हैं। इस आधार पर, सफलताओं का एक अन्य मार्ग यह है कि हम अपनी विफलता से अधिक अपनी सफलता से पाठ लें क्योंकि जब हम विफल हों तो हमें अपने कार्यक्रमों में पुनः विचार करना चाहिए और नये कार्यक्रम और शैली का चयन करें और जब हम सफल हो जाएं तो हमें केवल ख़ुश होना चाहिए, हमने कुछ नया नहीं सीखा, यह स्वयं में अपनी ग़लतियों का सम्मान करने का एक अन्य कारण है।
एक बार अमरीकी आविष्कारक थामस एडिसन से पूछा गया कि आपको बल्ब के आविष्कार में बारम्बार विफलता हाथ लगी तो आपको कैसा आभास हुआ? एडिसन ने कहा कि मैं कभी विफल नहीं हुआ बल्कि मैंने सफलता के साथ बल्ब के आविष्कार न करने के हज़ारों मार्ग खोज लिए।
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यह सकारात्मक विचार कारण बना कि दुनिया के बहुत से प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों ने अपने जीवन और समाज के निर्माण का काम आरंभ किया और सफलताओं की चोटियां सर कीं।
भीतरी प्रसन्नता तक पहुंचने का एक अन्य मार्ग, कार्य और प्रयास है और इस्लामी शिक्षाओं में इस पर बहुत अधिक बल दिया गया है। काम और प्रयास, स्वयं, परिवार और समाज के लिए कभी न समाप्त होने वाली पूंजी है। हज़रत अली अलैहिस्सलाम कार्य और प्रयास के बारे में कहते हैं कि सबसे बड़ा मनोरंजन कार्य है। फ़्रांसीसी दर्शनशास्त्री वोल्टर ने इसी आस्था को स्वीकार करते हुए कहा कि जब भी हमें यह आभास हो कि बीमारियों के दुख दर्द हमें आ दबोचेंगे, परेशान करेंगे, कार्य का सहारा लूंगा, कार्य, मेरे दुखों का सबसे बेहतरीन उपचार है। कार्य मनुष्य को तीन बड़ी आपदाओं से मुक्ति देता है, अवसाद, भ्रष्टाचार व तबाही और आवश्यकता।