इराक़ मे मौजूद इमामज़ादो मे जनाबे अबुजाफर सैय्यद मौहम्मद का नाम एक नुमाया हैसीयत का हामिल है और इराक की अवामुन्नास आपके लिऐ एक खास अक़ीदत की कायल है।
कुन्नीयत (उपनाम)
आपकी कुन्नीयत अबुजाफर थी।
पिता
जनाबे सैय्यद मौहम्मद के पिता इमामत की ज़ंजीर की दसवी कड़ी हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम थे।
जन्म स्थान व जन्मदिवस
आपके जन्मदिवस के बारे मे इतिहासकार लिखते है कि कि आप 228 हिजरी मे मदीने के पास सरया नामक गाँव मे इस दुनिया मे तशरीफ लाऐ।
बाज़ रिवायते आपको इमाम नक़ी अ.स. का सबसे बड़ा बेटा बताती है।
अखलाके अज़ीम
हजरत अबुजाफर सैय्यद मौहम्मद का अखलाक़ इस कद्र अच्छा था कि उस ज़माने के बाज़ शिया हज़रात ये समझते थे कि शायद इमाम अली नक़ी (अ.स) के बाद आप ही इमाम होंगे लेकिन जनाबे सैय्यद मौहम्मद के इमाम अली नकी (अ.स) से तीन साल पहले वफात पाने के बाद इमाम नक़ी (अ.स) की राहनुमाई से सब लोग समझ गऐ कि अगले इमाम हजरत इमाम हसन असकरी (अ.स) होंगे।
करामात
जनाबे सैय्यद मौहम्मद के बहुत से करामात बयान किये जाते है यहाँ तक की आपकी करामात अहलेसुन्नत के यहाँ भी बहुत मशहूर है आपकी इज़्ज़तो अहतेराम की वजह से इराक़ के लोग आपके नाम की क़सम खाते हुऐ भी डरते है।
औलाद
आप की औलाद मे तीन बेटो का ज़िक्र किया जाता है कि जिनके नाम हुसैन, जाफर और अली थे।
वफात
आपकी वफात सन् 252 हिजरी मे हुई और इस वाके़ऐ को उलामा इस तरह बयान करते है कि आप 252 हिजरी मे उमरा की नियत से मक्के के लिऐ निकले और सामरा के नज़दीक पहुँच कर बीमार हो गऐ और 29 जमादीउस् सानी 252 हिजरी को उसी जगह रेहलत फरमा गऐ। आपकी बीमारी के बारे मे कुछ मालूम नही है कि आप खुद बा खुद बीमार हुऐ थे या अब्बासी खलीफा के कारिंदो ने आपको जहर दिया था।
क़ब्रे मुबारक
जनाबे सैय्यद मौहम्मद का मज़ारे मुक़द्दस इराक़ के शहर सामरा से 25 km दूर बलद नामी शहर मे मौजूद है कि जहाँ रोज़ाना हज़ारो चाहने वाले आपकी क़ब्र की ज़ियारत के लिऐ आते है।