सैय्यद ताहिर अलैहिस्सलाम
  • शीर्षक: सैय्यद ताहिर अलैहिस्सलाम
  • लेखक: सैय्यद मौहम्मद मीसम नक़वी
  • स्रोत:
  • रिलीज की तारीख: 11:50:39 2-10-1403

हजरत सैय्यद ताहिर चौथी सदी हिजरी के उलामा और मुसन्नेफिन (लेखक) मे से है आपका शुमार शहरे रै (तेहरान) की बड़ी और इल्मी शख्सीयतो मे किया जाता था आप एक जलीलुल कदर और बा करामत शख्सीयत थे।


नसब
जनाबे सैय्यद ताहिर इमाम सज्जाद की नवीं पुश्त मे थे और आप शजराऐ मुबारक ये हैः ताहिर इब्ने मुहम्मद इब्ने मुहम्मद इब्ने हसन इब्ने हुसैन इब्ने ईसा इब्ने याहिया इब्ने हुसैन इब्ने ज़ैद शहीद इब्ने इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स)


ज़िन्दगी
सैय्यद ताहिर की ज़िन्दगी के बारे मे तारीख मे कोई खास जानकारी नही मिलती लेकिन इतना यक़ीनी है कि खुद सैय्यद ताहिर और आपके वालिदे मौहतरम शहरे रै के मोमनीन के दरमियान खिदमाते दीनी अंजाम दिया करते थे।


रूहानी हैसीयत
जनाबे सैय्यद ताहिर की रूहानी और बुलन्द हैसीयत को बताने के लिऐ यही कहना काफी होगा कि जब बादशाह ज़िल्लुस सुलतान के हुक्म पर आपके रोज़े को बनाने का काम शुरु किया गया और आपकी क़ब्रे मुबारक को खोला तो आपका जिस्म बिल्कुल इस तरह पाया गया कि जैसे अभी अभी इस मैय्यत को दफ्न किया हो।


जैसा कि आपकी जियारत मे भी मिलता है कि बेशक परवरदिगारे आलम के नज़दीक आपकी बड़ी कद्रो मंज़ीलत है क्योकि उसने आपके जिस्मे पाको ताहिर को आपकी वफात के सदीयां गुज़रने के बाद लोगो के लिऐ (सही सलामत) ज़ाहिर किया।


औलाद
आप की औलाद के बारे मे तारीखदान सिर्फ इतना लिखते है कि सैय्यद ताहिर के एक बेटा था कि जिसका नाम सैय्यद मुतह्हर था और उसकी वालिदा का ज़ैनब बिन्ते अबी अम्मारा था।

 

क़ब्रे मुबारक
जनाबे सैय्यद ताहिर का मज़ारे मुक़द्दस शहरे रै (तेहरान/ईरान) मे मौजूद है कि जहाँ रोज़ाना हज़ारो चाहने वाले आपकी क़ब्र की जियारत के लिऐ आते है।

आपके जवार मे जनाबे हमज़ा इब्ने इमाम काज़िम (अ.स) और शाह अब्दुल अज़ीम हसनी इब्ने अब्दुल्ला इब्ने अली इब्ने हसन बिन ज़ैद बिन इमाम हसन (अ.स.) की क़ब्रे मौजूद है।