मसअब ने कूफ़े पर हमला किया और मैदाने कनासा में मुख़्तार के लश्कर के सरदार अब्दुल्लाह इब्ने हातम से मुक़ाबला हुआ। अब्दुल्लाह बिन हातम अपने को कमज़ोर पाकर अपने दो सौ साथियों के साथ अपने क़बीले की तरफ़ भाग गया।
मसअब का लश्कर कूफ़े में दाख़िल हो गया और कूफ़े के रहने वाले डर कर अपने घरों के दरवाज़े बन्द करके अपने घरों में बैठे रहे। मसअब ने दारूल हुकूमत का घेराव कर लिया। मुख़्तार अपने बा-वफ़ा साथियों की वजह से परेशान था क्योंकि घेराव की वजह से अब न ये किसी को ख़त भेजकर बुला सकता था न कोई अब आ सकता था। फिर भी दो माह की मुद्दत तक मुक़ाबला जारी रहा।
आख़ीर ग़िज़ा और ख़ुराक की कमी की वजह से कमज़ोरी के साथ परेशानी पढ़ती रही। बिल आख़िर ग़िज़ा और ख़ुराक की कमी की वजह से कमज़ोरी और परेशानी पढ़ती रही बिल आखिर मुख़्तार ने अपने साथियों से कहा कि हालत बहुत तशवीशनाक है। ख़तरा हर लम्हा बढ़ता ही जा रहा है। दुश्मन के हाथ में गिरफ़्तार होने से बेहतर यह है कि हम मर्दानावार लड़कर जान दे दें अगर हम ज़िन्दा रहे और कामयाब हो गये तो फिर अपनी क़ुव्वत को बढ़ा सकते हैं और अगर मारे गये तो अपना असली मक़सद हम हासिल कर ही चुके हैं यानि इन्तेक़ामे शोहदा-ए कर्बला लेकिन बहुत से लोग इब्नुल वक़्त अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर की हुकूमत से इनाम व इकराम की तमन्ना में मुख़्तार से अलग हो गये।
आख़िर मुख़्तार और उसके उन्नीस वफ़ादार साथियों ने तय किया कि वे दुश्मन के ख़िलाफ़ आख़ीर वक़्त तक लड़ते रहेंगे। असलहा दर कफ़ और घोड़ो पर बैठे हुए दारूल हुकूमत के पीछे की तरफ़ आ खड़े हुए मुख़्तार नारे तकबीर बलन्द करता हुआ दुश्मन के लश्कर में दाख़िल हो गया और इस फ़ौरी (अचानक) हमले से मसअब का लश्कर हैरान रह गया। बहुत तदाबीर सोचीं मगर कुछ समझ में न आया क़रीब था की भाग खड़ें हों। ये बीस ( 20)जाँबाज़ मुजाहिद इस तरह लड़ रहे थे कि दुश्मन में मुक़ाबला करने की ताक़त ख़त्म हो रही थी।
सिर्फ़ मुख़्तार ने जो सबसे आगे लड़ रहा था दो सौ आदमी वासिले जहन्नम किये। मसअब ने यह मायूसनाक मन्ज़र देखकर लश्कर को हुक्म दिया कि बजाये तलवार की जंग के नैज़ो से जंग करें और नैज़ा बरदार मुख़्तार का मुहासिरा कर लें मुख़्तार की तलवार के आगे जो भी आता था जान सलामत न ले जा सकता था।
दुशमन का एक बहादुर मुख़्तार की तलवार खाकर ज़मीन पर गिर पड़ा और उसी हालत में उसने अपनी तलवार से मुख़्तार के घोड़े के आगे के पैर काट दिये घोड़ा मुँह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा बहादुर मुख़्तार पुश्ते ज़ीन से ज़मीन पर कूदा और पैदल जंग करना शुरू की मुख़्तार आख़री वक़्त तक जंग करता रहा के एक नैज़े ने उसके गले को ज़ख़्मी कर दिया।
ज़ख़्म की ताब न लाकर ज़मीन पर बैठ गया उठना चाहा कि एक ज़ालिम की तलवार चली और मुख़्तार अपने मक़सद में कामयाबी के बाद हमेंशा के लिये उरूसे शहादत की आग़ोश में रू पोश हो गया।
अफ़सोस वही सिपाही जिनकी आज़ादी और निजात की ख़ातिर मुख़्तार और उसके साथियो ने जंग की थी दुश्मन की मोहब्बत में सच्चे दोस्त को भुला बैठे जब जहाँ कहीं मुख़्तार का कोई दोस्त नज़र आता उसको तहे तेग़ किया जाता। मुख़्तार से दोस्ती के शक में लोग गिरफ़्तार किये जाते और मसअब के रू ब रू पेश किये जाते।
नोमान इब्ने बशीर की लड़की भी जो मुख़्तार की हमसर थी इसी जुर्म में पेश की गई। क़त्ल का हुक्म दिया गया और आख़री वक़्त मसअब ने उससे कहा के बेज़ारी इख़्तेयार करो वरना क़त्ल करा दूँगा। लड़की ने जवाब दिया कि ऐसे शख़्स जो ख़ुदा परस्त रोज़ेदार नमाज़गुज़ार था और जिसने अहलेबैते रसूल (अ.स) के ख़ून का इन्तेक़ाम लिया कैसे बेज़ारी इख़्तेयार करूँ मै अच्छी तरह जानती हूँ कि क़त्ल की जाऊँगी और जन्नत में ख़िदमते रसूल और आले रसूल (अ.स) में पहुँचुगी मगर तुझ जैसे ज़ालिम की इताअत हर्गिज़ क़ुबूल नहीं करने की इसके बाद उसने हाथ आसमान की तरफ़ बुलन्द किये ख़ुदावन्दा तू ख़ूब जानता है कि मैं तेरे पैग़म्बर (स 0अ 0)और उनकी आल (अ.स) की पैरो (अनुसरण करने वाली) हूँ।