मौजूदह ज़माने में शियों का सबसे बड़ा मरकज़ ईरान है लेकिन यह बात क़ाबिले तवज्जोह है कि ईरान हमेशा ही शियत का मरकज़ नही रहा है। बल्कि पहली सदी हिजरी में ही कूफ़ा, यमन, मदीना शियत के मरकज़ रहे हैं। यहाँ तक कि बनी उमैयह की जहर आलूद तबलीग़ात के बावुजूद शाम भी शियों का मरकज़ रहा है। लेकिन इन सब के बावुजूद शियों का सबसे बड़ा मरकज़ इराक़ ही रहा है।
इसी तरह सर ज़मीने मिस्र पर भी शिया हमेशा ज़िन्दगी बसर करते रहे हैं। ख़ुलफ़ा-ए- फ़तमी के दौर में तो मिस्र की हुकूमत ही शियों के हाथ में थी।
आज भी दुनिया के बहुत से मुल्कों में शिया पाये जाते हैं और सऊदी अरब के मनतका-ए- शरक़ियह में शिया एक बड़ी तादाद में रहते हैं और इस्लाम के दूसरे फ़िर्क़ों के लोगों के साथ उन के अच्छे ताल्लुक़ात हैं। इस्लाम के दुशमनों की हमेशा यह कोशिश रही है कि शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दुशमनी व इख़्तेलाफ़ के बीज बो कर इन को आपस में लड़ाए और इस तरह दोनों को ही कमज़ोर कर दे।
ख़ासतौर पर आज के ज़माने में जबकि इस्लाम शर्क़ व ग़र्ब की माद्दी दुनिया के सामने एक अज़ीम ताक़त बन कर उभरा है और माद्दी तहज़ीब से थके हारे उदास लोगों को अपनी तरफ़ मुतवज्जेह कर रहा है। आज इस्लाम दुशमन अफ़राद मुसलमानों की ताक़त को तोड़ने और इस्लाम की तरक़्क़ी की रफ़्तार को सुस्त करने के लिए इस कोशिश में लगे हुए हैं कि मुसलमानों के दरमियान इख़्तेलाफ़ पैदा कर के इन को आपसी झगड़ो में उलझा दिया जाये। अगर इस्लाम के तमाम फ़िर्क़ों के लोग इस बात को समझ लें और होशियार हो जायें तो दुशमन के इस मंसूबे को ख़ाक में मिलाया जा सकता है।
यह बात भी क़ाबिले ज़िक्र है कि शियों में भी अहले सुन्नत की तरह मुताद्दिद फ़िर्के पाये जाते हैं इन में सब से मशहूर और बड़ा प़िर्क़ा शिया असना अशरी है जिसके पैरोकार तमाम दुनिया में कसीर तादाद में मौजूद हैं। अगरचे शियों की दक़ीक़ तादाद और दुनिया के दूसरे मुसलमानों की निसबत इन की तदाद सही तौर पर मालूम नही है, मगर कुछ आकँड़ो की बुनियाद पर इस वक़्त दुनिया में तक़रीबन तीन सौ मिलयून शिया पाये जाते हैं जो आज की मुसलिम आबादी का ¼ है।