आप को इदरीस इसलिए कहा जाता है कि आप अपनी क़ौम के लोंगों को , अल्लाह की रुबूबियत, मआरेफत, इबादत, इताअत और इन्सानी ज़ाबताए हयात का दरस दिया करते थे । आप हज़रत आदम की सातवीं पुश्त में मोतावल्लिद हुए, अंग्रेज़ मोहक़्कि ने आप और हज़रत आदम का दरमियानी वक़्फ़ा 622 बरस बताया है।
आप लहीम शहीम, फरबे और वलन्द क़ामत थे, नर्म आवाज़ से आहिस्ता आरिस्ता बाते करते थे । अल्लामा अब्दुल वाहिद हनफी देवबन्दी का कहना कि ख़ुदा ने आप को दस चीज़ो से मुम्ताज़ और मुन्फरिद किया था
आप नबीये मुरसल थे
आप पर 30 सहीफे नाज़िल हुए
इल्में नुजूम जानते थे
क़ल्म से लिखने की इबतेदा की
कपड़ा इजाद किया
जंगी अस्लहे इजाद किया
जेहाद क़ायम किया
काफ़िरों और उनकी गिरफ्तारी का तरिक़ा इजाद किया
लोगों को लिबास पहन्ना बताया
ख़ुदा ने आपको ज़िन्दा आसमान पर उठाया
कुछ़ मोअर्रिख़ों का कहना है आपने तक़रीबन 100 शहर आबाद किये । अल्लामा मजलिसी अलैहिर्रहमा का बयान है कि आप मस्जिदे सहला मे दर्स देने के अलावा ख़याती का काम भी करते थे और वहीं रहते भी थे कशफुल ग़म्मा में है। आप को 72 ज़बानों पर क़ुदरत हासिल थी और आप हर ज़बान मे तबलीग़ का काम अन्जाम देते थे । रौज़ा तुल सफा में है कि आप ही ने बुर्जो में आफताब की मुन्तक़ाली से लोगों को आगाह किया और रुय ते हिलाल के बारे में बताया बुर्जो के नाम तजवीज़ किये नुजूम कि इसतेलाहें का़यम की और अपने इल्म से अम्बिया की तादाद बताई ।
दुनिया मे आप ने 365 साल तक कारे तबलीग़ अन्जाम दिया इसके बाद अल्लाह ने आप को जिन्दा आसमान पर उठा लिया । आसमान पर उठाये जाने से पहले आप ने उमुरे दीनी अपने साहबज़ादे मुतवशलख़ को अपना जानशीन बनाया । मुतवशलख़ ने वक्ते आखिर अपने फ़रज़न्द लमकया लामख़ को जानशीन मोकर्रर किया । और उनसे वह वसीयते की जो आप के बुज़ूर्गों ने आप से की थी। लमकया लामिख की उम्र 800 बरस की हूई और उनकी वफात तुफाने नूह से 620 साल पहले बताई जाती है। उन्ही लमक के साहबज़ादे हज़रत नूह थे ।