शराब का हराम होना
  • शीर्षक: शराब का हराम होना
  • लेखक: सैय्यदा आबिदा नरजिस
  • स्रोत: बोहलोल दाना
  • रिलीज की तारीख: 20:50:45 13-9-1403

हारून ने महफ़िल में नौशी सजा रखी थी वज़ीर अमीर बैठे थे मुसलमानों का ख़लीफ़ा कनीज़ो के हाथों से जाम में (शराब के जाम) लेकर ख़म के ख़म लुँढा रहा था के बोहलोल भी वहाँ पहुँचा- उसने ख़लीफ़ा की हरकतों को ख़ामोश निगाहों से देखा तो हारून को उसकी नसीहतें याद आयीं- नशे के तरंग में उसने सोचा के इससे पहले के बोहलोल कोई ऐसी बात कह दे- जो उसका सर झुका दे- वह पहल करे- उसने बोहलोल को देखा और बोला-

"बोहलोल- मेरे एक सवाल का जवाब दोगे"- "मैं तैयार हूँ"- बोहलोल ने जवाब दिया-

"बोहलोल- यह बताओ के अगर कोई शख़्स अंगूर खा रहा हो तो क्या हराम है"-  ? हारून ने सवाल किया-

"नहीं- बिल्कुल नहीं"- बोहलोल ने कहा-

"अगर वह अगूंर खाकर पानी पी ले- तो"-  ? हारून बोला- "कोई हर्ज नहीं"- बोहलोल ने बताया-

"अब यही शख़्स अगूंर खाने और पानी पीने के बाद धूप में बैठ जायें तो फिर"-  ??

"कोई मुज़ाएक़ा नहीं- जितनी देर चाहे बैठे"- बोहलोल ने जवाब दिया-

तो फिर बोहलोल- तुम ख़ुद ही बताओं के यही अगूंर और पानी- कुछ अरसा धूप में रख दिये जायें तो हराम क्यों हो जाते हैं"-  ? हारून ने बङे फ़ख़्र से अपना फ़लसफ़ा बयान किया-

"अगर इजाज़त हो तो मैं भी ख़लीफ़ा से चन्द सवाल कर लूँ- उम्मीद है इन्हीं सवालात में ख़लीफ़ा को अपने सवाल का जवाब मिल जायेगा"- बोहलोल ने इत्मीनान से कहा-

"इजाज़त है"- हारून झुमता हुआ बोला-

बोहलोल बोला- "क्या आलीजाह बतायेंगें के अगर किसी आदमी के सर पर थोङी सी मिट्टी डाल दी जाये तो क्या उसे कोई नुकसान पहुँचेगा"-  ?

"नहीं"- ख़लीफ़ा ने फ़ौरन जवाब दिया-

"इसके बाद उसके सर पर थोङा सा पानी डाल दें- तो क्या उस शख़्स को कोई तकलीफ़ होगी"-  ?

"नहीं- बिल्कुल नहीं"- हारून बोला-

"लेकिन- बोहलोल ने उसे मुतावज्जेह किया" अगर इस मिट्टी और पानी को मिलाकर ईंट बना ली जाये और वह उस शख़्स के सर पर मारी जाये- तो क्या कोई नुकसान होगा"-  ?

"तुम भी अजीब बातें करते हो बोहलोल"- ख़लीफ़ा हँसा- "उसका तो सर फट जायेगा"-

"तो फिर आलीजाह ग़ौर फ़रमायें तो उन्हें मालूम होगा के जिस तरह मिट्टी और पानी मिलकर इन्सान का सर फोङ सकते हैं- उसी तरह अगूंर और पानी मिलकर भी ऐसी चीज़ बना देतें है जो हराम और नापाक है- जिसके पीने से इन्सान की अक़्ल मारी जाती है- उसे बुरे भले की तमिज़ नहीं रहती- इसलिये इस्लाम ने उसके पीने वाले पर सज़ा वाजिब की है"-

हारून का नशा हिरन हो गया- वह मुज़तरिब होकर उठा और पशेमानी से बोला-

"शराब की यह महफ़िल बर्ख़ास्त की जाती है"