मुआविया के ज़ुल्म 2
  • शीर्षक: मुआविया के ज़ुल्म 2
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  • रिलीज की तारीख: 2:0:29 4-9-1403

मुआविया ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के बाद जो ज़ुल्मो सितम किये उनका ख़ुलासा यह है।

1) हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम को शहीद करना।

2) उमर बिन हम्क़, हुज्र बिन अदी व उनके साथियों को क़त्ल करना। यह ऐसे मोमिन थे जो हमेशा ज़िक्रे ख़ुदा किया करते थे और उनके माथों पर सजदों के निशान मौजूद थे।

3) ज़ियाद को अपने बाप अबुसुफ़यान की औलाद घोषित करना और उसे कूफ़े का गवर्नर बनाना। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जो ख़त मुआविया को लिखा था उसमें यही लिखा था कि तूने ज़ियाद को उम्मते मुसलेमाँ पर हाकिम बना दिया ताकि वह आज़ाद लोगों को क़त्ल करे, उनके हाथों पैरों को काटे और खजूर के पेड़ों पर उन्हें फाँसी दे। इब्ने अबिल हदीद ने लिखा है कि ज़ियाद ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के चाहने वालों को जहाँ भी पाया क़त्ल किया, उनके हाथों पैरो को काटा, उनको फाँसी पर लटकाया और जो बचे उनको डरा धमका कर इराक़ से बाहर निकाल दिया। यहाँ तक कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम के चाहने वालों में से एक भी मशहूर आदमी इराक़ में न रहा।

4) मुआविया ने अपनी पूरी हुकूमत में यह ऐलान कराया कि अली और उनके खानदान पर लानत की जाये। अल्लामा अमीनी ने लिखा है कि हज़रत अली अलैहिस्साम पर लअन एक सुन्नत बना गया था और सत्तर हज़ार मिम्बरों से बनी उमैय्या की हुकूमत में आप पर लअन होता था।

5) यज़ीद के लिए लोगों से बैअत लेना। मुआविया के तमाम ज़ुल्मो सितम एक तरफ़ और यह ज़ुल्म एक तरफ़। मुआविया ने यह काम कर के इस्लामी ख़िलाफ़त की बाग डोर एक ऐसे नालायक़ जवान के हाथों में सौँप दी जो शराबी, जूवे बाज़, बे दीन, आशिक़ मिजाज़ और कुत्तों के साथ खेलने वाला था।

हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जब यह सब कुछ होते देखा तो इसकी मुख़ालेफ़त में मुआविया को ख़त लिखा और उसे इन कामों पर तम्बीह की। जब मुआविया इस दुनिया से गया और हुकूमत यज़ीद के हाथों में पहुँची तो अब नसिहतों के दरवाज़े बन्द हो चुके थे। समाज में चारो तरफ़ ज़ुल्मो सितम फैल चुका था। यज़ीद ने तख़्ते हुकूमत पर बैठते ही मदीने के गवर्नर को ख़त लिखा कि हुसैन इब्ने अली से मेरे लिए बैअत ले ले। मदीने के गवर्नर वलीद ने यज़ीद का यह पैग़ाम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम तक पहुँचाया इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया ऐ वलीद!! हम पैग़म्बर (स.) के अहले बैत हैं , हम मादने रिसालत हैं, हमारा घर वह है जिसमें फ़रिश्ते आते जाते हैं, अल्लाह का फ़ैज़ हम से शुरू होता है और पर ही तमाम होता है।

यज़ीद शराब पीने वाला, खुले आम गुनाह करने वाला और लोगों को बे गुनाह क़त्ल करने वाला है लिहाज़ा मुझ जैसा इंसान यज़ीद की बैअत नही कर सकता।

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने इस बयान से सभी चीज़ों को रौशन कर दिया और अपने क़रीब तरीन अज़ीज़ों के साथ इस ज़ुल्मों सितम का मुक़ाबला करने के लिए निकल पड़े।


।। अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिंव वा आलिमुहम्मद।।