महिला जगत
  • शीर्षक: महिला जगत
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  • रिलीज की तारीख: 20:37:28 1-10-1403

सफलता प्राप्त करने और प्रेमपूर्ण संबंध को मज़बूत बनाने का एक रहस्य जीवन में एक ऐसे घर का होना है जो मनुष्य के लिए शांतिदायक हो। यह बात तीन चीज़ों पर निर्भर है।
प्रथम घर की स्थिति, दूसरे महिला का श्रृंगार और तीसरे उसका व्यवहार।
घर, पुरुष के लिए माता का स्थान रखता है। हर मां जब अपने बच्चे को प्यार करती है तो बच्चा उसकी गर आता है।
यदि वह अपने बच्चे को डांटती - फटकारती है तब भी बच्चा उसकी ओर आता है। दोनों स्थिति में बच्चा अपनी मां के पास आता है।
पुरुष यदि घुमने - फिरने से थक जाये तो उसका मन घर जाने को चाहता है। यदि वह दिनचर्या के कार्यों से थक जाये तब भी उसका मन घर आने के लिए कहना चाहिये।
जिस घर से पुरुष भाग रहा है वह सौतेली मां है न कि मां। यदि हम यह चाहते हैं कि हमारे पति को घर में आराम मिले, वह घर में रुचि ले और घर में अपनी उपस्थिति को हर दूसरे स्थान पर अपनी उपस्थिति पर वरियता दे तो यह केवल हमारी समझदारी, क्षमता और होशियारी पर निर्भर है। घर को सजाने में सुन्दर शैली, घर की सफाई सुथराई, अच्छे, स्वादिष्ट और नाना प्रकार के पकवान बनाना तथा बच्चों की देखभाल आदि वे रोचक व आकर्षक कार्य हैं जो पति को घर आने के प्रति आकर्षित करते हैं।
प्राकृतिक रुप से हर व्यक्ति सुन्दरता व पवित्रता को पसंद करता है। पुरुष भी इस बात को पसंद करते हैं कि उनकी पत्तियां साफ़ - सुथरी, कलाकार एवं सुघड़ हों परंतु इन सबके साथ पत्नी की सुन्दरता एवं उसका श्रृंगार भी बहुत आवश्यक है। पुरुष की स्वाभिक चाहत होती है कि जब वह काम से थका मांदा घर आये तो उसे पत्नी का खिला हुआ प्रसन्नचित चेहरा नज़र आए।
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम के प्राणप्रिय पौत्र हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम कहते हैं " पत्नी के लिए आवश्यक है कि वह इत्र आदि लगाकर अपने आपको सुगंधित बनाये, अच्छे कपड़े पहने, अच्छी तरह श्रृंगार करे, यह उचित नहीं है कि महिला स्वंय को अपने हाल पर छोड़ दे बल्कि यदि हो सके तो गले में हार पहनकर स्वंय को सुशोभित करे।

पति का पत्नी और घर में दिल लगने में घर का प्रफुल्ल व आध्यात्मिक वातावरण जादू का काम करता है जो घर की महिला के व्यवहार पर निर्भर है। परिवार के सदस्यों का मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और शांति, घर की महिला के हाथ में है। यदि महिला स्वभाव अच्छा व सकारात्मक होगा तो उसके चेहरे से सकारात्मक लहरें निकलेंगी और वह पति के अतिरिक्त आस - पास के लोगों को भी प्रभावित करेंगी।
अच्छे और प्रसन्न चित्त तथा मृदु स्वभाव से महिला घर के सदस्यों को आत्मिक ऊर्जा प्रदान कर सकती है। इस प्रकार वह अपने बपको और अपने परिवार को उन मानसिक व मनोवैज्ञानिक बीमारियों से बचा सकती है जो हमें घेरे रहती हैं।
सकारात्मक स्वभाव के लिए मनुष्य को मनोरंजन की बवश्यकता है। सबसे सस्ता मनोरंजन,जो हमारे साथ इस दुनिया में आता है। हंसना, प्रसन्न चित्त रहना और मज़ाकिया प्रवृत्ति का होना है। तो इस संबंध में हमें कंजूसी से काम नहीं लेना चाहिये और दिल खोलकर रहना व व्यवहार करना चाहिये।
जब पुरुष घर में आता है तो यह उसका अधिकार है कि ऐसे संसार में प्रवेश करे जो प्रफुल्लता और प्रेम से ओत - प्रोत हो।
महिला की खुशी व प्रसन्नता से पुरुष को ऊर्जा व आशा मिलती है। एक समझदार महिला भली - भांति जानती है कि थके मांदे व्यक्ति से, जो अपने आप में खोया हुआ है, किस प्रकार व्यवहार करना चाहिये।
जब पुरुष विचारों में खोया होता है तो बात चीत कम करता है। पत्नी उससे बार बार पूछती है कि क्या हुआ है? क्यों दुखी हो? पति उत्तर देता है ठीक हूं कोई बात नहीं है। जब मत्नी को संक्षिप्त उत्तर मिलता है तो उसे केवल यह सोचना चाहिये कि इस समय पति को अकेला छोड़ दे ताकि वह अपनी कठिनाइयों व समस्याओं के समाधान के बारे में सोच सके। जब पति लघु उत्तर देता है तो वह यह चाहता है कि बप मौन धारण करके उसका समर्थन करें और उसे समय अवसर दें। इन अवसरों पर पति को हर दूसरे समय से अधिक आवश्यकता इस बात की होती है कि उसकी पत्नी प्रफुल्ल व प्रसन्न चित्त रहे।
क्योंकि पत्नी के प्रसन्न चित्त होने की स्थिति में वह अधिक सरलता से अपने आपको मस्तिष्क से जुड़े कार्यों से स्वतंत्र व मुक्त कर लेगा और सामान्य स्थिति में आ जायेगा। शायद एक महत्वपूर्ण शिकायत, जो अधिकांश महिलाएं करती हैं, पुरुषों का चुप रहना और अधिक बात न करना है। जब किसी समस्या से कोई पुरुष परेशान व खिन्न होता है तो वह कदापि उसके बारे में बात नहीं करता है और इसके बदले में अधिक चुप रहता है तथा अपने आप में खो जाता है ताकि अपनी समस्या के बारे में सोचे और उसके निदान का मार्ग खोज सके और यदि वह समस्या के निदान का कोई मार्ग नहीं खोज पाता है तो अपने आपको किसी अन्य काम में लगा लेता है ताकि अपनी कठिनाई को हूल जाये। उदाहरण स्वरुप वह समाचार पत्र पढ़ने या टेलीवीज़न देखने लगता है या इसी तरह का कोई अन्य- कार्य करने लगता है। समस्या को भुलाकर धीरे धीरे सामान्य स्थिति प्राप्त कर लेता है।
पुरुषों के विपरीत एक महिला को अपनी समस्याओं के संबंध में बात करने की आवश्यकता होती है। पति और पत्नी एक दूसरे की भिन्नता व अंतर को जानकर तथा एक दूसरे का सम्मान करके अपनी शांति की सुरक्षा कर सकते हैं। जब पत्नी को बात करने और प्रेम की आवश्यकता होती है तो उसे बात करना चाहिये और इस बात की अपेक्षा नहीं करना चाहिये कि बात करने में उसका पति पहल करेगा। । साथ ही महिला को बात सुनने के कारण अपने पति का आभार व्यक्त करना चाहिये कि मैं अपने दिल की बात तुमसे करके कितनी ख़ुश हूं तुमसे बात करके हल्की हो गयी।
इसी प्रकार पत्नी को चाहिये कि बात सुनने के कारण पति को महत्व दे। कुछ समय के बाद जब पत्नी बात करना आरंभ करती है तो उसका पति प्रसन्न हो जाता है और स्वंय को अपनी पत्नी की बात में भागीदार समझता है परंतु जब पति को यह आभास होता है कि तानाशाही ढंग से उससे मांग की जा रही है कि वह बात करे तो उसका मूड ख़राब हो जाता है और कुछ नहीं बोलता यहां तक कि यदि कहने के लिए भी कुछ होता है तो नहीं कहता बल्कि चुप रहता है क्योंकि वह यह आभास करता है कि बोलने के लिए उसे आदेश दिया गया है। पति के लिए बहुत कठिन है कि जब बात करने के लिए उसकी पत्नी उसे आदेश दे तो बात करे। पत्नी को यह पता नहीं है कि प्रश्न पर प्रश्न पूछ कर वह अपने पति को अपने आप से दूर कर रही है।
पति अपनी पत्नी की बात उस समय सुनेगा जब उसे यह पता चले कि उसे महत्व दिया जाता है अन्यथा वह यह सोचेगा कि पत्नी की बात सुनने का कोई लाभ व महत्व नहीं है। जब पति यह आभास करेगा कि बात सुनने के कारण उसे महत्व दिया जाता है और चुप रहने के कारण उसे दूर व अलग नहीं किया जाता है तो धीरे धीरे बात करने लगेगा और जब वह यह आभास करेगा कि बात करने के लिए विवश नहीं है तो बात करना आरंभ करेगा । इस बात को याद रखना चाहिये कि यदि पत्नी बात सुनने के कारण अपनी पति को महत्व देगी तो उसका पति भी उसकी बात को महत्व व सम्मान देना सीख लेगा।