नायाब गौहर
  • शीर्षक: नायाब गौहर
  • लेखक: सैय्यद अमीन हैदर हुसैनी (बी.काम)
  • स्रोत:
  • रिलीज की तारीख: 20:48:41 13-9-1403

(औरत के बारे में हज़रते ज़हरा (स) से संबन्धित हदीसें)

 




पहली हदीस- पैग़म्बरे खुदा (स) ने हज़रते ज़हरा (स) से सवाल किया कि औरत के लिए बेहतरीन चीज़ कौन सी है ?



आपने फरमायाः औरत के लिए बेहतरीन चीज़ यह है कि वह किसी नामहरम को न देखे और कोई नामहरम उसे न देखे।



इसके बाद पैग़म्बरे खुदा (स) ने अपनी बेटी को आग़ोश में लेकर इस आयत की तिलावत फरमाई – ज़ुर्रियतन बअज़ोहा मिन बअज़, अनुवाद – यह एक ऐसी नस्ल है जिसमें एक का सिलसिला एक से है (आले इमरान-34)।



दूसरी हदीस- एक दिन हज़रत अली (अ) बहुत ही ग़मगीन हालत में घर तशरीफ लाए।



हज़रते ज़हरा (स) ने आपसे ग़मगीन होने की वजह पूछी तो हज़रत अली (अ) ने जवाब दियाः पैग़म्बरे खुदा (स) ने मुझसे सवाल किया जिसका जवाब मुझसे नही दिया जा सका।



जनाबे फातेमा (स) ने आपसे पूछा वह कौन सा सवाल था ? आपने फरमायाः रसूले खुदा (स) ने औरत के बारे में सवाल किया। हमने कहा औरत एक ऐसी चीज़ है जिसको हमेशा परदे में रहना चाहिए।



इसके बाद फिर सवाल किया कि औरत किस समय खुदा के सबसे ज़्यादा नज़दीक होती है ? मुझसे इस सवाल का जवाब नही दिया जा सका।



हज़रते ज़हरा (स) ने फरमायाः ऐ अली (अ) जाकर कह दिजिए कि जिस समय औरत घर के एक गोशे में हुआ करती है उस समय खुदा से बहुत ज़्यादा नज़दीक होती है।



हज़रत अली (अ) वापस गए और जवाब को बयान फरमाया। लेकिन रसूले खुदा (स) ने फरमाया यह आपका जवाब नही है।



हज़रत अमीरिल मोमिनीन (अ) ने कहाः हाँ इसका जवाब मैने हज़रते ज़हरा से दरयाफ्त किया है। इसके बाद पैग़म्बरे खुदा (स) ने फरमाया फातेमा ने सही कहा है।



बेशक वह मेरे बदन का टुकड़ा है।



तीसरी हदीस- हज़रत इमाम सादिक़ (अ) ने अपने पिता हज़रत इमाम बाक़िर (अ) से नक़्ल करते हैं कि



हज़रत अली (अ) और हज़रते ज़हरा (स) ने रसूले खुदा (स) से घरेलू काम की तक़सीम की दरखास्त की।



रसूले खुदा (स) ने घरेलू काम काज को हज़रते ज़हरा (स) के ज़िम्मे किया और घर के बाहर वाले कामों को हज़रत अली (अ) के हवाले किया।



हज़रत इमाम बाक़िर (अ) फरमाते हैं कि इस समय हज़रते ज़हरा (स) ने फरमायाः सिर्फ खुदा जानता है कि



इस बटवारे से मैं किस क़द्र खुश हुँ कि पैग़म्बरे खुदा (स) ने मर्दों से संबंधित काम और वह काम जिसमें मर्दों से मिलना जुलना पड़ता है मेरे ज़िम्मे नही किए।



चौथी हदीस- एक दिन हज़रत अली (अ) भूके थे आपने हज़रते ज़हरा (स) से पूछा, क़्या कोई खाने की चीज़ मौजूद है ?



हज़रते ज़हरा (स) ने जवाब में कहा क़सम है उस खुदा कि जिसने मेरे पिता को नबी बनाया और आपको उनका जानशीन, मेरे पास इस समय खाने की कोई चीज़ नही है



बीते दो दिनों के दौरान जो कुछ मेरे हाथ आया था आप पर और अपने बेटों हसन(अ) और हुसैन(अ) पर निसार कर दिया और मैने खुद कुछ नही खाया है।



इसके बाद हज़रत अली (अ) ने फरमायाः ऐ फातेमा आपने मुझे क्यों नही बताया ताकि आपके लिए किसी चीज़ का इंतेज़ाम करता। हज़रते ज़हरा (स) ने फरमायाः मै खुदा से हया करती हुँ कि



आपसे कोई चीज़ मांगूँ और आप उसका इंतेज़ाम न कर सकें।