असली नाम
आपका असली नाम अब्दुस्सलाम बिन सालेह हरवी था।
उपनाम
दरअस्ल अबासलत आपका उपनाम था जबकी बाज़ लोग इसे आपका असली नाम समझते हैं।
जन्म व जन्मस्थान
हज़रते अबासलत का जन्म सन् 160 हिजरी मे मदीना ए रसूले अकरम मे हुआ।
हज़रते अबासलत की चंद खुसुसीयात
1. आप इमाम रज़ा अ.स की पहली ज़ियारत से लेकर इमाम अ.स. की शहादत के वक़्त तक इमाम अ.स. की खिदमत करते रहे।
2. आपने चार इमामो का ज़माना देखा है कि जिनमे पहले इमाम रज़ा अ.स है तथा चौथे इमाम हसन असकरी अ.स. हैं।
3. आप एक बुज़ुर्ग रावी तथा आलिमे उलूमे आले मौहम्मद अ.स. थे।
4. आप इमाम रज़ा अ.स के खास सहाबी थे।
5. शिया व सुन्नी दोनो फिरको के उलेमा आपको सिक़ह व आदिल मानते है।
इमाम रज़ा अ.स की ग़ुलामी
हकीकत ये है कि हज़रते अबासलत इमाम रज़ा अ.स के खरीदे हुऐ ग़ुलाम नही थे बल्कि आपने खुद अपने लगाव से इमाम की नोकरी और ग़ुलामी को क़ुबुल किया था।
मनाज़राते हज़रते अबासलत
हज़रते अबासलत ने मामून अब्बासी के दरबार मे बहुत सारे मनाज़रे किये और हमेशा अपने जवाबात से बातिल के दांत खट्टे किये।
वफात
हज़रते अबासलत की वफात 232 हिजरी मे हुई तथा आपकी समाधी ईरान के एक शहर मशहदे मुक़द्दस मे है ।
ज्ञात हो इमाम रज़ा अ.स की समाधी भी इसी शहर मे है तथा इमाम रज़ा अ.स के दर्शन को आने वाले हज़ारो लोग हज़रते अबासलत के भी दर्शन ज़रुर करते हैं।