इस्तबरा के अहकाम
  • शीर्षक: इस्तबरा के अहकाम
  • लेखक: हज़रत आयतुल्लाह सैय्यद अली सीसतानी साहब
  • स्रोत: al-shia.org
  • रिलीज की तारीख: 3:47:52 29-6-1403

*(म.न.73) इस्तबरा एक मुस्तहब अमल है जिसको मर्द पेशाब करने के बाद इस ग़रज़ से अंजाम देते है ताकि इतमीनान हो जाये कि अब पेशाब की नली में पेशाब बाक़ी नही रहा। इस्तबरा के कई तरीक़े हैं जिनमें से बेहतर यह है कि पेशाब करने के बाद बायें हाथ की बीच की उँगली से पख़ाने के सुराख से पेशाब की नली की जड़ तक तीन बार दबाये इसके बाद अँगूठे को पेशाब नली के उपर वाले हिस्से पर और अँगूठे का पास वाली उंगली को पेशाब नली के नाचे रख कर तीन बार सुपारी तक सूँते फिर बाद में तीन बार सुपारी को दबाये। (अगर पख़ाने का मक़ाम नजिस है तो पहले उसे पाक कर लेना चाहिए)


(म.न.74) वह तरी जो कभी कभी औरत को चूमने चाटने या हसीँ मज़ाक़ करने की वजह से मर्द के आलाए तनासुल (लिँग) से निकलती है उसे मज़ी कहते है और वह पाक है। इसके अलावा वह तरी जो कभी कभी मनी (वीर्य) के बाद निकलती है उसे वज़ी कहते है। या वह तरी जो कभी कभी पेशाब के बाद निकलती है जिसे वदी कहा जाता है वह भी पाक है इस शर्त के साथ कि उसमें पेशाब न मिला हो। अगर किसी शख़्स ने पेशाब करने के बाद इस्तबरा किया हो और उसके बाद उस से कोई तरी निकले जिसके बारे में न जानता हो कि यह पेशाब है या उपर बयान की गई तीनों चीज़ों में से कोई एक तो वह भी पाक है।


(म.न.75) अगर किसी शख़्स को शक हो कि उसने इस्तबरा किया है या नही और उसके पेशाब के मक़ाम से कोई तरी निकले जिसके बारे में वह यह न जानता हो कि यह पाक है या नजिस तो वह नजिस है। और अगर वह वज़ू कर चुका है तो (इस तरी के निकलने से) उसका वज़ू भी बातिल हो जायगा।लेकिन अगर उसको इस बारे में शक हो कि जो इस्तबरा उसने किया था वह सही ता या नही तो और इस हालत में उसके पेशाब के रास्ते से एक तरी निकले जिसके बारे में यह न जानता हो कि यह पाक है या नजिस तो वह तरी पाक है और अगर वह वज़ू से है तो उसका वज़ू भी बातिल नही होगा।


*(म.न.76) अगर किसी शख़्स ने इस्तबरा न किया हो और पेशाब करने के बाद काफ़ी देर गुज़र जाने की वजह से उसे इतमिनान हो गया हो कि पेशाब नली में बाक़ी नही रहा था और उसके बाद उसके पेशाब के रास्ते से कोई तरी निकले जिसके बारे में उसे यह पता न हो कि यह तरी नजिस है या पाक तो वह तरी पाक है और उससे वज़ू भी बातिल नही होगा।


(म.न.77) अगर कोई शख़्स पेशाब करने के बाद इस्तबरा करके वज़ू करले और उसके बाद कोई ऐसी तरी निकले जिसके बारे में उसका ख़याल यह हो कि यह पेशाब या मनी है तो उस पर वाजिब है कि एहतियातन ग़ुस्ल करे और वज़ू भी करे। अलबत्ता अगर उसने पहले वज़ू कर लिया हो तो वज़ू कर लेना काफ़ी है।
(म.न.78) औरत के लिए पेशाब के बाद इस्तबरा नही है । अगर पेशाब के बाद औरत से कोई तरी निकले और शक हो कि यह पेशाब है या और कोई चीज़ तो वह तरी पाक है। और उससे वज़ू व ग़ुस्ल भी बातिल नही होगा।