ईदे मुबाहेला और जनाबे फ़ातेमा ज़हरा
  • शीर्षक: ईदे मुबाहेला और जनाबे फ़ातेमा ज़हरा
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  • रिलीज की तारीख: 12:8:21 27-7-1403

ख़ुदा वंदे आलम फ़रमाता है:

 

فَمَنْ حَاجَّكَ فِيهِ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَكَ مِنَ الْعِلْمِ فَقُلْ تَعَالَوْا نَدْعُ أَبْنَاءَنَا وَأَبْنَاءَكُمْ وَنِسَاءَنَا وَنِسَاءَكُمْ وَأَنْفُسَنَا وَأَنْفُسَكُمْ ثُمَّ نَبْتَهِلْ فَنَجْعَلْ لَعْنَتَ اللَّهِ عَلَى الْكَاذِبِينَ

 (सूरा आले इमरान आयत 61)

 

अनुवादः ऐ पैग़म्बर, ज्ञान के आ जाने के बाद जो लोग तुम से कट हुज्जती करें उनसे कह दीजिए कि (अच्छा मैदान में) आओ, हम अपने बेटे को बुलायें तुम अपने बेटे को और हम अपनी औरतों को बुलायें और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाये और तुम अपने जानों को, उसके बाद हम सब मिलकर ख़ुदा की बारगाह में गिड़गिड़ायें और झूठों पर ख़ुदा की लानत करें।

 

तफ़्सीर लिखने वाले इस बात पर एकमत हैं कि इस पवित्र आयत  में (अन फ़ोसना) से मुराद अली बिन अबी तालिब (अ.) हैं, इसलिए  हज़रत अली (अ.) मक़ामात और फ़ज़ायल में पैग़म्बरे अकरम (स.) के बराबर हैं।

 

अहमद बिन हंमबल अल मुसनद में रिवायत करते हैं: जब पैग़म्बरे अकरम (स) पर यह पवित्र आयत उतरी तो आँ हज़रत (स) ने हज़रत अली (अ), जनाबे फ़ातेमा और हसन व हुसैन (अ) को बुलाया और फ़रमाया:

ख़ुदावंदा यह मेरे अहले बैत हैं।

 

और सही मुस्लिम, सही तिरमिज़ी और मुसतदरके हाकिम वग़ैरह में इसी विषय की रिवायत नक़्ल हुई है।

 

(मुसनदे अहमद जिल्द 1 पेज 185)

 (सही मुस्लिम जिल्द 7 पेज 120)

(सोनने तिरमिज़ी जिल्द 5 पेज 596)

(अल मुसतदरके अलल सहीहैन जिल्द 3 पेज 150)